हम लड़ेंगे साथी उदास मौसम से/ हम लड़ेंगे साथी गुलाम इच्छाओं से/ हम चुनेंगे साथी ज़िंदगी के सपने…मूल पंजाबी में लिखी गई ये पंक्तियां कवि अवतार सिंह संधू 'पाश' की हैं, जिनका जन्म साल 1950 में जालंधर जिले की तलवंडी तहसील में 09 सितंबर को हुआ था. पंजाबी में लिखने के बावजूद अपने तेवरों के चलते वह हर उत्तर भारतीय भाषा में जाने गए. पाश की कविताओं की एक अपनी लय है जो पंजाबी लोक साहित्य की वाचिक परंपरा और वहां के जनसंघर्षों के सुदीर्घ इतिहास की लोक-स्मृतियों के साथ ही वहां की मिट्टी, वहां की नदियों, वहां के नृत्यों-गीतों से रची हुई है. लेकिन इसके साथ ही साथ पाश की प्रगतिधर्मिता में पूरे भारतीय जन की स्मृति, परंपरा और समकालीन जीवन की गति का द्वंद्व भी सामने आता रहा. यही वजह है कि पाश की कविताएं गहरे अर्थों में राजनीतिक कविताएं हैं
पाश काफी कम उम्र से ही लिखने लगे थे. उन्होंने 1976 में दसवीं की पढ़ाई पूरी की और पंजाबी में 'ज्ञानी' की डिग्री भी ली जो बीए के समकक्ष होती है. पाश की काव्य प्रतिभा को देखते हुए पंजाब साहित्य अकादमी ने 1950 में उन्हें एक साल की फेलोशिप दे दी थी. पाश ने 1978 में कपूरथला जिला के शेखपुर से जेबीटी की परीक्षा पास की थी. वह एक अच्छे कवि के साथ एक अच्छे संपादक भी थे. उन्होंने 1972 में 'सियाड़' नाम से एक पत्रिका भी निकाली थी. बाद में वह कुछ समय तक 'हेम ज्योति' पत्रिका के संपादक भी रहे. जुलाई 1986 में कैलिफोर्निया से निकलने वाली पत्रिका 'एंटी 47 फ्रंट' से भी जुड़े रहे. पाश के जीते जी पंजाबी में उनके तीन काव्य संग्रह उनके प्रकाशित हुए. 1970 में 'लौहकथा', 1973 में 'उड्ड्दे बाजाँ मगर', 1978 में 'साडे समियाँ विच'. उनके निधन के बाद 1989 में अमरजीत चंदन के संपादन में एक और काव्य संग्रह 'खिल्लरे होए वर्के' प्रकाशित हुआ.
पंजाब में जब आतंकवाद अपने चरम पर था और बहुत से साहित्यकारों ने चुप्पी साध रखी थी, तब पाश कलम की ताकत से अपनी कविताओं के जरिये मोर्चे पर डटे थे. शायद यही वजह थी कि 23 मार्च, 1988 को जब वह केवल 38 साल के थे आतंकवादियों के हाथों अपने गांव में ही मारे गए. उनके साथ उनका एक दोस्त हंसराज भी मारा गया. पाश की शहादत के ठीक एक साल बाद 23 मार्च 1989 को उनका कविता संग्रह 'बीच का रास्ता नहीं होता' हिंदी में प्रकाशित हुआ. बाद में 'समय, ओ भाई समय', 'हम लड़ेंगे साथी', 'पाश के आस-पास', 'पाश की कविताएं' नाम से उनके और भी संग्रह आए.