पटना: इप्टा की 75 वीं वर्षगांठ के अवसर पर तीसरे दिन भी विभिन्न इकाइयों द्वारा नाटक, गीत, संगीत, नृत्य और विचार विमर्श का आयोजन होता रहा। इप्टा राष्ट्रीय प्लैटिनम जुबली समारोह के मौके पर प्रदर्शनियों का भी आयोजन किया गया है। यह प्रदर्शनी भारतीय नृत्य कला मंदिर बहुद्देश्यीय सांस्कृतिक परिसर की गैलरी में लगी है।
इसमें इप्टा से जुड़े अहम दस्तावेज, संगीत नाटक अकादमी के सम्मान से सम्मानित कलाकारों की तस्वीरें, गांधी जी की 150वीं जयंती पर उनके विचार, कविता पोस्टर शामिल है।
'भारतीय संस्कृति और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद' विषय पर आयोजित विमर्श में लेखक वीरेंद्र यादव ने कहा कि भारत की संस्कृति को एक रंग में रंगने की कोशिश हो रही है। झारखंड इप्टा के शैलेन्द्र ने कहा " जिसे हम संस्कृति का संकट कह रहे हैं दरअसल वो विशुद्ध राजनीति का संकट है जो इस कालखंड में संस्कृति का मुखौटा पहनकर आया है। कवि गौहर रज़ा ने पहचान का सवाल उठाते हुए कहा " हमारे पास कोई ऐसी पहचान नहीं जो पूरे मुल्क को एक सूत्र में बांध सके। फिर भी आज़ादी के आंदोलन में हमने देखा कि बड़े लक्ष्यों के लिए संकीर्ण भेदों को ताक पर रख दिया गया। यह शायद तब के नेतृत्व की काबिलियत थी। पर अब मामला बिल्कुल अलग है। पर हमारे संविधान में वो सारे तत्व मौजूद हैं जो बहुलता के बाद भी सभी को एकसूत्र में बंध कर रख सके। यह बात याद रखनी चाहिए कि यदि हम विचारों की लड़ाई हार गए तो राजनीति की जंग भी हार जाएंगे।" सुप्रसिद्ध फिल्मकार एम.एस सथ्यू ने इप्टा के पुराने दिनों की याद करते हुए कहा " तब भी हमारे सामने ऐसी ही चुनौतियां थीं।"कार्यक्रम के अंत में रायगढ़ इप्टा द्वारा नाट्य आलेख पर केंद्रित पत्रिका का लोकार्पण किया गया।