नई दिल्लीः कन्या कुमारी स्थित स्वामी विवेकानंद शिला स्मारक की स्वर्ण जयंती के अवसर पर इंडोनेशिया के बाली में एक इतिहास लिखा गया. मौका था स्वामी विवेकानंद की मूर्ति का बाली में अनावरण का. इस अवसर पर मूर्ति का अनावरण करने वालों में सीनेटर डॉ आई गुस्ती नगुराह, आर्य वेदाकर्णा महेन्द्रदत्ता वेदासत्रपुतरासूयाशा तृतीय, इंडोनेशिया में भारत के राजदूत प्रदीप कुमार रावत और स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र बाली के निदेशक मनोहर पुरी सहित काफी संख्या में स्वामी जी के विचारों पर आस्था रखने वाले उपस्थित थे. इंडोनेशिया में ही नहीं संभवतः समस्त दक्षिण-पूर्वी एशिया में स्वामी जी की यह प्रथम प्रतिमा स्थापित हुई है. बाली में स्वामी विवेकानंद को भारतीय मूल्यों का प्रतीक माना जाता है. इस अवसर पर मूर्तिकार आई वयान आगुस वीरात्मा को भी सम्मानित किया गया. मूर्ति के निर्माण एवं स्थापना में सुकर्णो केंद्र का भी सक्रिय सहयोग एवं योगदान रहा. बाली में भारत के प्रधान कोंसुल जनरल प्रकाश चंद भी इस अवसर पर उपस्थित थे.
वेदाकर्णा ने स्वामी विवेकानंद की महानता को याद करते हुए कहा कि जो भी युवक इस मूर्ति को देखेगा अथवा इसमें सामने से गुजरेगा उसके भीतर एक नवीन उर्जा का संचार होगा क्योंकि स्वामी जी युवा शक्ति की प्रति मूर्ति थे. उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया के प्रथम राष्ट्रपति सुकर्णों कहा करते थे कि स्वामी विवेकानंद एक असाधारण भारतीय थे, जिनसे भारत और इंडोनेशिया ही नहीं विश्व के हर युवक को प्रेरणा लेनी चाहिए. इस मूर्ति की स्थापना में मनोहर पुरी एवं वेदाकर्णा के संयुक्त प्रयासों की प्रशंसा करते हुए भारतीय राजदूत प्रदीप रावत ने कहा कि इस प्रतिमा से दोनों देशों के संबंध प्रगाढ़ होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं. स्वामी विवेकानंद सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक मनोहर पुरी ने अपने स्वागत भाषण में वेदाकर्णा का विशेष रूप से धन्यवाद करते हुए कहा कि एक सच्चे क्षत्रिय की भांति उन्होंने अपना वचन निभाया, जिसके फलस्वरूप आज इस मूर्ति की स्थापना हो सकी है.