नई दिल्लीः जकार्ता के कन्वेंशन सेंटर में आज से ‘इंडोनेशिया पुस्तक मेला 2018′ शुरू हो गया है. यह मेला 12 से 16 सितंबर चलेगा, जिसमें भारत के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत काम कर रहा राष्ट्रीय पुस्तक न्यास भी हिस्सा ले रहा है. पुस्तक संस्कृति के उन्नयन की दशा और दिशा के मद्देनजर, विश्व में पुस्तकों की स्थिति और उसके दूरगामी प्रयासों को देखते हुए न्यास की हिस्सेदारी काफी महत्त्वपूर्ण है. ज्ञात रहे कि नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया ने गतवर्ष भी इंडोनेशिया पुस्तक मेले में भागीदारी की थी. इस साल न्यास ने हिंदी के सहायक संपादक डॉ ललित किशोर मंडोरा को प्रतिनिधि के तौर पर भेजा है. इस पुस्तक मेले में करीब 17 देशों के प्रकाशक भागीदारी कर रहे हैं, जिनमें भारत के अलावा प्रमुख हैं, जर्मनी, श्रीलंका, आस्ट्रेलिया, कोरिया, बेल्जियम, मलेशिया, सिंगापुर, किंगडम ऑफ सऊदी अरबिया, मोरक्को, तुर्की और थाईलैंड.
डॉ मंडोरा ने जकार्ता से जागरण हिंदी को बताया कि नेशनल बुक ट्रस्ट के अध्यक्ष प्रोफेसर बल्देव भाई शर्मा व निदेशक डॉ रीता चौधरी की अगुआई में न्यास पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने का कोई मौका नहीं छोड़ रहा है. इंडोनेशिया पुस्तक मेले में भागीदारी का के कई उद्देश्य हैं. एक तरफ जहां विदेशों में पाठकों को अपने देश के प्रकाशन जगत के नवीनतम प्रकाशनों से परिचित कराना है, वहीं यह भी देखना है कि उनमें पुस्तकों के प्रति कितना लगाव व अभिरुचि है. आज पहला दिन होने के बावजूद मेले में स्कूली छात्रों से लेकर शोध छात्रों और स्थानीय पुस्तकप्रेमियों की भीड़ है, जो स्टॉल-स्टोल जाकर पुस्तकों के प्रति न केवल रुचि दिखा रहे, बल्कि उन पर विचार-विमर्श भी कर रहे. युवाओं का यह लगाव पुस्तक संस्कृति के लिए एक सार्थक संकेत है. इस अवसर पर नेशनल बुक ट्रस्ट इंडिया को प्रकाशन के क्षेत्र में असाधारण कार्य के लिए जकार्ता में सम्मानित भी किया गया. नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया के संपादक डॉ ललित किशोर मंडोरा ने यह सम्मान प्राप्त किया. यह सम्मान अध्यक्ष अमिला बी.साफ़ितरी ने इंटरनेशनल इंडोनेशिया बुक फेयर के शुभारंभ के दौरान मिलन कार्यक्रम के दौरान प्रदान किया. इस पुस्तक मेले में नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया ने अपने प्रकाशनों के अतिरिक्त देश के प्रमुख प्रकाशकों की पुस्तकों को भी प्रदर्शित किया है. डॉ मंडोरा का कहना है कि इस तरह के पुस्तक मेलों में भागीदारी करने से न्यास की पुस्तकों का प्रतिनिधित्व वैश्विक पटल तक पहुंचता है.