साहित्य में उर्दू गजल की अपनी ही एक खनक है,और गजल में अगर संगीत के सुर सध जाएं तो फिर कहना ही क्या? 'नूर' के नाम से प्यार और जिंदगी के फलसफों से लबरेज गजल अब संगीत प्रेमियों के सामने है. मुंबई में गजलों के कार्यक्रम 'खजाना' में 'नूर' को रिलीज किया गया. मशहूर गीतकार और कवि आलोक श्रीवास्तव के लिखे इन अलफाजों को सुदीप बनर्जी ने न केवल अपने सुरों से सजाया है, बल्कि अपनी आवाज भी दी है. यह पहला मौका है जब गजल और ऊर्दू कविता की दुनिया की दो नामचीन हस्तियां आलोक श्रीवास्तव और सुदीप बनर्जी  किसी प्रोजेक्ट के लिए साथ आए हैं.

'नूर' प्यार, जीवन और दर्शन की गजल है. काव्य और गजल को पुनर्जीवित करने की इन दोनों कलाकारों की ख्वाहिश का नतीजा है नूर. नूर का वीडियो यूट्यूब पर भी देखा जा सकता है. जिंदगी और संबंधों पर आधारित यह  गजल इस बात का सबूत है कि अच्छी कविताएं और संगीत कभी भी चलन से बाहर नहीं होते.  जब भी अच्छी कविता या गीत सही संगीत के साथ पेश किया जाता है, लोगों को लुभाता है.

इसमें चर्चित कार्यक्रम 'जिंदगी लाइव' फेम एंकर और पत्रकार ऋचा अनिरुद्ध एक अलग ही रोल में हैं, उन्होंने 'नूर' के लिए मुख्य मॉडल का किरदार निभाया है. कवि आलोक श्रीवास्तव ने इस गजल को भले ही पारंपरिक शैली में लिखा है, मगर इसके संगीत में शास्त्रीय के साथ-साथ समकालीन आधुनिक वाद्य यंत्रों का इस्तेमाल भी किया गया है. इसीलिए यह गजल बहुत कर्णप्रिय लगती है. 

फतेह अली खान ने सारंगी और अमित चौबे ने तबले की थाप ने गजल में चार चांद लगाए हैं. इस गजल की रिकॉर्डिंग मशहूर गायिका लता मंगेशकर के एलएम स्टूडियो में की गई है. 'नूर' का विमोचन मशहूर गायक तलत अजीज, पंकज उधास और रेखा भारद्वाज ने किया.