पटनाः हिंदी व मैथिली की यशस्वी साहित्यकार डॉ उषाकिरण ख़ान ने नारी शक्ति को आखर की ताकत से जोड़ने के लिए एक संस्था बनाई है 'आयाम', जो अपनी नारी और साहित्य केंद्रित गतिविधियों को लेकर हमेशा चर्चा में रहा है. यह संस्था अन्य आयोजनों के साथ ही हर साल अपना वार्षिकोत्सव भी मनाती है. इसी सिलसिले में स्थानीय आईआईबीएम हॉल में 'आयाम' की सूत्रधार पद्मश्री डॉ उषाकिरण ख़ान की अध्यक्षता में आम सभा की बैठक सम्पन्न हुई. बैठक में सबसे पहले नए सदस्यों का करतलध्वनि से स्वागत किया गया. फिर आगामी वार्षिकोत्सव की रूपरेखा तैयार की गई. अनेक मुद्दों पर वैचारिक आदान प्रदान हुआ. सबसे राय मशवरा कर महत्त्वपूर्ण निर्णय लिए गए. बैठक के उत्तरार्ध में काव्य/लघुकथा पाठ में सभी सदस्यों ने अपनी बेहतरीन रचनाएं सुनाकर समां बांध दिया.
याद रहे कि आयाम होली मिलन, वार्षिकोत्सव, नारी विमर्श, संस्कृति, साहित्य पर विमर्श आयोजित करता ही रहता है, और यह नारी की आजादी पर किसी भी तरह के दबाव के विरोध में है. स्त्री की सृजनात्मकता को लेकर 'आयाम' के विचार उसके एक कार्यक्रम में पढ़े गई इस कविता से समझा जा सकता है कि-
'सुलगते चूल्हे पर
स्त्री जब रांधती है भात
बटलोही के अदहन से
पकते चावल की खदबदाहट
हर स्त्री की सृजनात्मकता है'.
अध्यक्ष डॉ उषा किरण खान की अगुआई में आयाम अपने सक्रिय सदस्य भावना शेखर, नीलिमा सिंह, डा. शांति शर्मा, मीरा मिश्रा, विभा रानी श्रीवास्तव, सुनीता गुप्ता, रानी सुमिता, सुमन सिन्हा, वीणा अमृत, आभा रानी, इति माधवी, उत्तरा, अर्चना त्रिपाठी, पूनम आनंद, ज्योति स्पर्श, आफशाँ अंजुम आदि की मौजूदगी से नारी जगत पर अपना प्रभाव छोड़ने में सफल रहा है.