नई दिल्लीः केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने हिंदी के जाने-माने व्यंग्यकार, कवि-आलोचक प्रो अशोक चक्रधर के काव्य संकलन 'गई दुनिया नई दुनिया' का लोकार्पण किया. जश्नेअदब के नवें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस लोकार्पण एवं पुस्तक परिचर्चा कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री निशंक और रचनाकार अशोक चक्रधर के अलावा कथाकार ममता कालिया, दैनिक जागरण के एसोसिए एडिटर अनंत विजय, कवि-आलोचक, भाषाविद डॉ ओम निश्चल, कुंवर रंजीत चौहान, रंजन निगम एवं प्रकाशक जितेंद्र पात्रो ने हिस्सा लिया. केंद्रीय मंत्री निशंक ने इस अवसर पर कहा कि आज के गंभीर वातावरण में भी कविता को जन जागरण से जोड़ते हुए अशोक चक्रधर ने सरकार के आपदा प्रबंधन की दिशा में किए जा रहे प्रयत्नों को रचनात्मक दिशा दी है, यह उनके व्यक्तित्व की विशेषता है. वे बात-बात में जीवन के अनुभव की बातें कह जाते हैं तथा यह पुस्तक कविता के क्षेत्र में अशोक जी के कवि व्यक्तित्व को एक नई पहचान देगी ऐसा विश्वास है. उपस्थित वक्ताओं का स्वागत कुंवर रंजीत चौहान ने किया.
डॉ ओम निश्चल ने इसे जन जागृति का विशिष्टकाव्य बताया और कहा कि कविता यदि आत्मा के उपचार की औषधि है तो यह कविता दैहिक उपचार की औषधि है. कोराना के साथ जीने की जीवन शैली बताती हुई अनेक कविताएं यहां हैं. ममता कालिया ने अशोक चक्रधर के कविता संसार को मनुष्य के लिए प्रेरक बताया और कहा कि अशोक ने सदैव कविताओं में उस मानवीय पक्ष को रखा है जिसे प्राय: हास्य व्यंग्य की धारा के कवि भूल जाते रहे हैं. अनंत विजय ने कहा कि अशोक जी जिस हास्य व व्यंग्य के लिए जाने जाते हैं उसके आलोक में कभी लगा ही नहीं कि यह शख्स कविताओं में इतनी मानवीय दृष्टि का वाहक हो सकता है. उन्होंने कहा कि ये कविताएं गंभीरता का कवच ओढ़े, असंतोष उगलती दुनिया में आशा और उम्मीद का संदेश देती हैं तथा बताती हैं कि जनता तक पहुचने के लिए कविता को किस सरलता और सहजता से रचा जाना चाहिए. अशोक चक्रधर जी अपने वक्तव्य में कहा कि ये कविताएं उन्हें समय-समय पर हांट करती रही हैं तथा कोरोना व्याधि के दौरान यह सोचने पर विवश किया कि इनका योगदान मनुष्यता को बचाने के लिए हो सकता है. रंजन निगम ने इन कविताओं को रचे जाने की प्रक्रिया में अशोक चक्रधर की रचना प्रक्रिया पर प्रकाश डाला.