बेगूसराय, प्रगतिशील लेखक संघ का बेगूसराय ज़िला सम्मेलन  गौरा  गांव में आयोजित किया गया। जिले के  कवि, कहानीकार, आलोचक, सामाजिक कार्यकर्ता सहित पाठकों ने भी इसमें शिरकत की। जीरो माइल स्थित राष्ट्रकवि दिनकर की आदमकद प्रतिमा पर अतिथियों  ने माल्यार्पण किया। माल्यार्पण स्थल से सम्मेलन स्थल तक खुली जीप, दर्जनों मोटरसाइकिल, हाथी व घोड़े के साथ सभी अतिथियों को ले जाया गया। पूरे गांव के लोग साहित्यकारों का अभिवादन करने खड़े थे। इस किस्म का दृश्य पूरे हिंदी क्षेत्र में दुर्लभ है।

 शुरुआत में इप्टा के कलाकारों के गीत से हुई।

 " दिन गए, बरस गए यातना गई नहीं

रोटियां गरीब की  ,  प्रार्थना  गई नहीं।

 उद्घाटन वक्तव्य देते हुए बी.एच. यू के अवकाश प्राप्त प्रोफेसर चौथीराम  यादव ने   कहा " जाति भारतीय समाज की सच्चाई है इससे साहित्य को  मुंह नहीं चुराना चाहिए। जातिवाद से हम जाति के भीतर नहीं लड़ सकते।उसके लिए जाति के बाहर आना  होगा। ये  जिम्मेवारी मार्क्सवादी लेखकों की है वही लोग इसकी अगुआई कर सकते हैं और  अम्बेडकरवादी सहित तमाम विचार के लोगों को एक साथ ला सकते हैं। 

प्रगतिशील लेखक संघ के राज्य महासचिव रवीन्द्र नाथ राय ने कहा " भारत  में फासीवादी सत्ता जिस तरह बढ़ती जा रही है वो हमें वाल्टर बेंजामिन की याद दिला रहा है जिसे आत्महत्या करनी पड़ी थी।"

अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालय के प्राध्यापक वेदप्रकाश ने कहा " जरूरी है कि हम  भयमुक्त होकर मुक्ति की लड़ाई  जरूरी है "

प्रलेस के राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र राजन ने वहामं उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा " आज सत्ता और शोषक वर्ग जानवरों की तरह व्यवहार कर रही है। महाजनों के कर्ज के दबाव में किसान और मज़दूर आत्महत्या कर  रहे हैं।

संस्कृतिकर्मी अनीश अंकुर ने पीर अली, अशफाकउल्ला खान की धर्मनिरपेक्ष विरासत को रेखांकित करते हुए  कहा " अभी देश में  व्यावसायिक व साम्प्रदायिक हितों का गठजोड़ हो गया है जो देश के सामाजिक संरचना के लिए बेहद घातक है। "

प्रख्यात आलोचक खगेन्द्र ठाकुर  ने मुख्य वक्ता थे, उन्होंने कहा कि " आज मनुष्य को मानवीय बनाना सबसे बड़ी चुनौती है। छायावादोत्तर काल के सबसे बड़े कवि नागार्जुन थे। कुछ लोग मुक्तिबोध को मानते हैं। मुक्तिबोध  मध्यवर्गीय जनता के कवि थे जबकि  नागार्जुन किसान मजदूर जनता के  साहित्यकार हैं। ' बलचनमा' उपन्यास इसका सर्वोत्तम उदाहरण है।

 संचालन कुंदन  जबकि स्वागत वक्तव्य लालन लालित्य ने किया। ललन लालित्य प्रलेस बेगूसराय के नए सचिव चुने गए। इस अवसर पर मौजूद प्रमुख लोगों में अनिल पतंग, शेखर सावंत, उमेश कुँवर कवि, भगवान प्रसाद सिन्हा, राजेश, नरेंद्र कुमार सिंह, रामकुमार, मनोरंजन विप्लवी, अग्रेनन्द चौधरी, मुचकुंद मोनू, एस. एन आज़ाद, चैतन्य मित्र आदि शामिल हैं।