नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में बिप्लोबी भारत गैलरी का उद्घाटन किया और देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने वाले वीर-वीरांगनाओं को याद करते हुए कहा कि शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के बलिदान की गाथाएं देश के लिए दिन रात मेहनत करने के लिए प्रेरित करती हैं. उन्होंने कहा, 'हमारे अतीत की विरासतें हमारे वर्तमान को दिशा देती हैं, हमें बेहतर भविष्य गढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं. इसलिए, आज देश अपने इतिहास को, अपने अतीत को, ऊर्जा के जाग्रत स्रोत के रूप में देखता है.' प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारी प्राचीन कलाकृतियों की बेधड़क विदेशों में तस्करी होती थी, जैसे उनकी कोई अहमियत ही नहीं थी. लेकिन अब भारत की उन धरोहरों को वापस लाया जा रहा है. 2014 से पहले के कई दशकों में सिर्फ दर्जनभर प्रतिमाओं को ही भारत लाया जा सका था. लेकिन बीते 7 सालों में ये संख्या 225 से भी अधिक हो चुकी है. प्रधानमंत्री ने कहा कि 'निर्भीक सुभाष' के बाद बिप्लोबी भारत गैलरी के रूप में कोलकाता की समृद्ध विरासत में एक खूबसूरत मोती जुड़ गया है. उन्होंने कहा कि बिप्लोबी भारत गैलरी पश्चिम बंगाल की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों को संजोने और संवारने की सरकार की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है.
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत को गुलामी के सैकड़ों वर्षों के कालखंड से आजादी, तीन धाराओं के संयुक्त प्रयासों से मिली थी. एक धारा थी क्रांति की, दूसरी धारा सत्याग्रह की और तीसरी धारा थी जन-जागृति की. प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे मन में ये तीनों ही धाराएं, तिरंगे के तीन रंगों में उभरती रही हैं. हमारे तिरंगे का केसरिया रंग, क्रांति की धारा का प्रतीक है. सफेद रंग, सत्याग्रह और अहिंसा की धारा का प्रतीक है. हरा रंग, रचनात्मक प्रवृत्ति की धारा का, और तिरंगे के अंदर नीले चक्र को मैं भारत की सांस्कृतिक चेतना के प्रतीक के रूप में देखता हूं. उन्होंने कहा कि आज तिरंगे के तीन रंगों में नए भारत का भविष्य भी देख रहा हूं. केसरिया रंग अब हमें कर्तव्य और राष्ट्रीय सुरक्षा की प्रेरणा देता है. सफ़ेद रंग अब 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' का पर्याय है. हरा रंग आज पर्यावरण की रक्षा के लिए, रिन्यूएबल एनर्जी के लिए भारत के बड़े लक्ष्यों का प्रतीक है और तिरंगे में लगा नीला चक्र आज ब्लू इकॉनमी का पर्याय है. प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें नए भारत में नई दृष्टि के साथ ही आगे बढ़ना है. ये नई दृष्टि भारत के आत्मविश्वास की है, आत्मनिर्भरता की है, पुरातन पहचान की है, भविष्य के उत्थान की है. इसमें कर्तव्य की भावना का ही सबसे ज्यादा महत्व है. इस मौके पर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी भी उपस्थित थे.