कासगंजः आजादी का अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में स्थानीय आजाद गांधी इंटर कॉलेज में 'एक शाम शहीदों के नाम' मुशायरा एवं कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें देश के जानेमाने शायरों एवं कवियों ने शिरकत की. शायर मुमताज नसीम ने जब सुनाया –
चलो माना तुमने वफाओं के मेरे सब निशान मिटा दिए,
मगर इसका मुझको यकीन नहीं मेरे सब खत भी तुमने जला दिए…
तो खूब तालियां बजीं. दर्शकों ने वंस मोर, वंस मोर कहकर आसमान गूंजा दिया.
शायर डॉ. माजिद देवबंदी ने इस्लाम की सलाहियत पर जोर दिया और सुनाया-
अल्लाह मेरे रिज्क की बरकत न चली जाए,
दो रोज से घर में कोई मेहमान नहीं…
जाहिर है इस शायरी पर भी खूब तालियां बजीं.
कवयित्री शबीना अदीब का कलाम कुछ यों था, 'खामोश लब हैं झुकी हैं पलकें, दिलों में चाहत नई नई है….' तो शायर जोहर कानपुरी ने सुनाया 'म्यार दोस्ती का गिराया नहीं गया, तेरा फरेब होठों पर लाया नहीं गया. मुशायरा आयोजक डॉ मोहम्मद लायक और चौधरी नुरुल हसन ने शायरों, कवियों, स्थानीय प्रशासन, सहयोगियों और दर्शक श्रोताओं का आभार जताया. आरंभ में मुशायरा और कवि सम्मेलन का उद्घाटन एटा जिला पंचायत अध्यक्ष जुगेंद्र सिंह यादव, पूर्व राज्यमंत्री मानपाल सिंह, सहावर नगर पंचायत चेयरमैन जाहिदा सुल्तान, एटा सपा जिला अध्यक्ष परवेज जुबेरी, सपा नेता विक्रम यादव ने किया. इस दौरान असरार सैफी, फीरोज खान, नूरउद्दीन, डॉ. माजिद फुरथान, बजाहत, अखलेश अग्रवाल, डॉ. विकास गुप्ता, सुल्तान हसन सहित भारी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद रहे.