पलामू: युग प्रवर्तक महावीर प्रसाद द्विवेदी की 150वीं वर्षगांठ के अवसर पर स्थानीय पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्मृति भवन में नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय की अंगीभूत इकाई गणेश लाल अग्रवाल महाविद्यालय के हिंदी विभाग की ओर से आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ. इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में महाराष्ट्र के लातूर स्थित शिवाजी कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सतीश कुमार यादव ने कहा कि साहित्य के लिए इससे बेहतर संकेत क्या हो सकता है कि हम यहां आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पर चर्चा के लिए जुटे हैं. आचार्य द्विवेदी आधुनिक हिंदी भाषा और साहित्य के युगद्रष्टा हैं. उन्होंने भाषा, संस्कृति, कला, अनुभव को नया तेवर दिया. डा. यादव ने कहा कि 1885 में भारतेंदु हरिश्चंद्र के निधन के पश्चात आधुनिक हिंदी साहित्य ठहर गया था. बावजूद इसके महावीर प्रसाद द्विवेदी ने इस ठहराव को गति दी. नीलांबर पीतांबर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सत्येंद्र नारायण सिंह ने कहा कि आचार्य द्विवेदी का हिंदी साहित्य की कई विधाओं में सार्थक व बहुमूल्य योगदान रहा. उनकी कृतियां आज भी प्रासंगिक हैं.
बीडीआर कॉलेज बेरमो के डॉ रवींद्र कुमार ने कहा कि महावीर प्रसाद द्विवेदी बहुआयी प्रतिभा की धनी और महान विचारक थे. योग, सारथी और साहित्यकार की परीक्षा विपरीत परिस्थिति में ही होती है. उन्होंने सरस्वती पत्रिका का संपादन किया. संगोष्ठी के उदघाटन सत्र में महावीर प्रसाद होने का अर्थ स्मारिका का अतिथियों ने संयुक्त रूप से लोकार्पण किया. इस अवसर पर 'महावीर प्रसाद द्विवेदी होने का अर्थ' नामक स्मारिका का लोकार्पण भी हुआ. कार्यक्रम में देवघर कॉलेज के प्राचार्य डॉ बीके गुप्ता, एनपीयू के वितीय सलाहकार कैलाश राम, एनपीयू के वित पदाधिकारी नकुल प्रसाद, मगध विश्वविद्यालय गया के प्रो सुनील कुमार, आयोजन समिति के सचिव डॉ अजय कुमार पासवान, डॉ घनश्याम पांडेय, डॉ सुवर्ण महतो, डॉ बैजनाथ राय, डॉ बीके मिश्रा, डॉ सुदेश्वर महतो, डॉ सुरेश साहु, डॉ मंजू सिंह, डॉ विभा शंकर, डॉ एसके सिंह, डॉ एनके सिंह समेत कई प्राध्यापक और शोधार्थी उपस्थित थे. अध्यक्षता गणेश लाल अग्रवाल महाविद्यालय के प्राचार्य डा. आईजे खलखो और संचालन डॉ मनोरमा सिंह ने किया. संगोष्ठी में महाराष्ट्र, वर्द्धमान, बिहार और झारखंड के कई साहित्यकार और रचनाकार शामिल हुए.