नई दिल्लीः केके बिड़ला फाउंडेशन ने हिंदी के प्रसिद्ध लेखक असगर वजाहत को प्रतिष्ठित 'व्यास सम्मान' देने की घोषणा की है. प्रोफेसर रामजी तिवारी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने वजाहत को उनके नाटक 'महाबली' के लिए 31वें 'व्यास सम्मान' से सम्मानित करने का फैसला किया है. फाउंडेशन की विज्ञप्ति के अनुसार, शहंशाह अकबर और कवि तुलसीदास को केंद्र में रखकर रचा गया यह नाटक 2019 में प्रकाशित हुआ है. यह नाटक कई दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है. नाटककार की कल्पना में भारतीय इतिहास के दो समकालीन चरित्र गंगातट पर भक्ति रस व साहित्य में डूबे कवि तुलसीदास और मुगल सम्राट अकबर, जो महाबली कहे जाते हैं की मुलाकात होती है. यूं तो इस भेंट का कोई प्रमाण नहीं है, लेकिन इन दो चरित्रों के माध्यम से नाटककार ने सत्ता की अधिकार भावना और कला की स्वाधीनता के शाश्वत प्रश्न को सुघड़ नाट्य रूप दिया है. मानव मन का यह उद्वेलन एक साथ सामयिक और प्रासंगिक बन पड़ा है. परिवेश, जीवन और समाज के अनेक पहलुओं को स्पर्श करते इस नाटक में हमारे समय के अनेक प्रश्नों को स्वर मिले हैं. नाटक इस प्रश्न का उत्तर टटोलने को विवश करता है कि आखिर महाबली कौन है. कवि या शहंशाह. एक ओर है तुलसी का भावपूर्ण, भक्तिरस में समर्पित अंतःकरण और दूसरी ओर खड़े हैं अपने आदेशों का पालन होते हुए देखने वाले महाबली सम्राट अकबर.
महाबली नाटक द्वंद्व, आवेग, स्थितियों के नाटकीय उतार-चढ़ाव से भरा एक ऐसा प्रभावशाली नाटक-सृजन है, जिसका भाषिक संयोजन प्रभावशाली और मंचीयता के गुणों से भरपूर है. याद रहे कि 'व्यास सम्मान' पिछले 10 वर्षों के दौरान हिंदी में प्रकाशित साहित्यिक रचना के लिए दिया जाता है. लेखक को इस पुरस्कार के तहत चार लाख रुपए की राशि, उद्धरण व फलक दिया जाता है. उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले में पांच जुलाई 1946 में जन्मे वजाहत लंबे अरसे तक दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हिंदी विभाग में प्रोफेसर रहे हैं. उनके अनेक उपन्यास, नाटक, निबंध, कहानी-संग्रह और यात्रा-वृतांत प्रकाशित हो चुके हैं. वजाहत को 2009-10 में हिंदी अकादमी ने 'श्रेष्ठ नाटककार' के सम्मान से नवाजा था. उन्हें 2014 में नाट्य लेखन के लिए संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड और 2016 में दिल्ली हिंदी अकादमी के सर्वोच्च शलाका सम्मान से भी सम्मानित किया गया था. उनकी अन्य चर्चित कृतियों में 'बाकरगंज के सैयद, 'सफाई गंदा काम है, 'जिस लाहौर नई देख्या ओ जम्या ई नई, 'कैसी आगी लगाई, 'भीड़तंत्र, 'अतीत का दरवाजा, 'स्वर्ग में पांच दिन' जैसी पुस्तकें शामिल हैं