नई दिल्लीः पत्रकारिता क्षेत्र में हेमंत शर्मा एक बड़ा नाम हैं. पहले प्रिंट और बाद में टेलीविजन पत्रकारिता में शोहरत बटोरने वाले हेमंत शर्मा की दो किताबें अपने प्रकाशन और विमोचन से पहले ही काफी चर्चा में हैं. अयोध्या में रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़े घटनाक्रम पर लिखी गई उनकी इन पुस्तकों के बाजार में आने से पहले ही वरिष्ठ आलोचक नामवर सिंह और वेदप्रताप वैदिक, राम बहादुर राय व राहुल देव जैसे नामचीन पत्रकार अपनी टिप्पणियां दे चुके हैं. सुप्रसिद्ध आलोचक एवं साहित्यकार नामवर सिंह कहते हैं कि तुलसीदास के पांच सौ साल बाद किसी काशी वासी ने अयोध्या पर इस स्तर की पुस्तक की रचना की है. प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित पुस्तक 'युद्ध में अयोध्या' और 'अयोध्या का चश्मदीद' ऐसी पुस्तकें हैं, जो एक ऐसे पत्रकार ने लिखी है जो पल-पल उस घटना का गवाह रहा है.

हेमंत के शब्दों में इस विषय पर वह लंबे समय से लिखने की सोच रहे थे, क्योंकि अब तक अयोध्या पर जो भी पुस्तकें आईं थीं, वे या तो इस पक्ष की थीं या उस पक्ष की. मैंने बतौर द्रष्टा, जो कुछ देखा, समझा उसे लिखा. इसे आप दस्तावेज और संदर्भग्रंथ भी कह सकते हैं. पुस्तक के प्रचार के लिए फेसबुक पर उनका एक पेज है. जिस पर उन्होंने लिखा है, 'वो दिन कभी भूलने वाला नहीं. 'युद्ध में अयोध्या' और 'अयोध्या का चश्मदीद' की पांडुलिपि फाइनल हुई थी. सारे प्रूफ, तस्वीरें, कैप्शन सब कुछ दुरूस्त किया गया था. किताब की शक्ल समझ आने लगी थी. वो बड़ा दिन इसलिए भी था क्योंकि करीब 8 महीनों की मेहनत का नतीजा दिख रहा था. प्रेस में जाने से पहले तय हुआ कि किताब डॉ. नामवर सिंह को दिखाई जाए. उन्होंने किताब के पन्ने पलटे और उसके बाद जो हुआ वो बहुत भावुक करने वाला था. ये किताब उन्होंने कई बार कहकर लिखाई थी.अक्सर पूछते थे- किताब कहां तक पहुंची. उस रोज उनकी आंखों में आंसू थे. ये उनका स्नेह है.

'तमाशा मेरे आगे' और 'द्वितीयोनास्ति' जैसी पुस्तकें लिख चुके हेमंत शर्मा काशी के यशस्वी लेखक मनु शर्मा के पुत्र हैं, जिन्होंने 'कृष्ण की आत्मकथा', 'कर्ण की आत्मकथा', 'द्रोण की आत्मकथा', 'द्रोपदी की आत्मकथा','के बोले मां तुमि अबले','छत्रपति','एकलिंग का दीवाना', 'गांधी लौटे' जैसी लोकप्रिय किताबें लिखीं. इस लिहाज से लेखन का गुण, वह भी पौराणिक और ऐतिहासिक आख्यानों पर उन्हें विरासत में मिला है.  इस पुस्तक को लेकर प्रभात प्रकाशन के निदेशक प्रभात कुमार का कहना है कि, राम हमारी चेतना, संस्कृति और सभ्यता के प्रतीक हैं, फिर भी अयोध्या को लेकर इतनी तरह की बातें हुईं हैं. इसीलिए हमारा उद्देश्य है कि हर भारतीय, हर हिंदू के घर में यह किताब हो. हेमंत शर्मा की दोनों किताबें अपने आप में बेहद अलग और अनूठी किताबें हैं. दोनों पुस्तकें लगभग पांच-पांच सौ पृष्ठों की हैं और ये पेपर बैक और हार्ड बाउंड दोनों ही संस्करणों में निकल रही हैं, ताकि हर हाथ तक पहुंच सकें.