भोपालः पिछले इक्कीस वर्षों से प्रदान किये जाने वाले राष्ट्रीय ख्याति के अम्बिका प्रसाद दिव्य स्मृति प्रतिष्ठा पुरस्कारों की घोषणा कर दी गई है. पुरस्कार समिति के संयोजक जगदीश किंजल्क ने भोपाल में इस आशय की सूचना देते हुए बताया कि इस बार इन पुरस्कारों के लिए देश के कोने-कोने से दो सौ आठ पुस्तकें प्राप्त हुई थीं. जिनमें से उनके स्वयं के साथ निर्णायक मंडल के सदस्यों परशुराम शुक्ल, प्रो. आनन्द प्रकाश त्रिपाठी, सयंक श्रीवास्तव, प्रियदर्शी खैरा, विजयलक्ष्मी विभा, राधेलाल विजयाघले, किशन तिवारी, राजेन्द्र नागदेव, प्रभुदयाल मिश्र, घनश्याम सक्सेना और राजो किंजल्क ने कुछ चुनिंदा कृतियों को पुरस्कार के लिए चुना. दिव्य पुरस्कार के लिए चयनित कृतियों में प्रबोध कुमार गोबिल का उपन्यास 'अकाब', रेणुका अस्थाना का कहानी संग्रह 'कालिंजर', डा. प्रदीप उपाध्याय का व्यंग्य संग्रह 'सठियाने की देहलीज पर', डा. कृष्ण शंकर शर्मा 'अचूक' का काव्य संग्रह 'नदी उफान भरे', चक्रधर शुक्ल का बाल साहित्य 'दादी की प्यासी गौरइया' और डा. पद्मासिंह का निबंध संग्रह 'आत्मज्ञान में जगत दर्शन' शामिल है.
इन पुरस्कारों के साथ ही गुणवत्ता के क्रम में द्वितीय व तृतीय स्थान के लिए भी रचनाएं चयनित की गईं, जिन्हें 'दिव्य प्रशस्ति पत्र प्रदान' किए जाएंगे. इस क्रम में चुनी गई कृतियां हैं, शराफत अली खान की 'श्रेष्ठ बाल कथाएं', मधु का कहानी संग्रह 'समय का सच', घनश्याम शर्मा मैथिल 'अमृत' का कथा संग्रह 'एक लोहार की', डा. सुभ्रदा मिश्र का निबंध संग्रह 'धारा 370 मुक्त कश्मीर', पंकज त्रिवेदी का निबंध संग्रह 'मन कितना बीत राग', चन्दर सोनाले का 'देश, समाज और संस्कृति', आशीष दशोत्तर का व्यंग्य संग्रह 'मोरे अवगुण चित न धरौ', कुमारी आफरीन का काव्य संग्रह 'बीच सफर में', डा. स्वदेश भटनागर का गजल संग्रह 'जिस्म रोटी का नंगा होता है', डा कृष्ण बक्षी का गजल संग्रह 'सवालों की दुनिया', नरेन्द्र श्रीवास्तव का नव गीत संग्रह 'ये बात और है', गिरजा कुलश्रेष्ठ का काव्य-संग्रह 'अजनबी शहर में, रघुवीर शर्मा का 'चारों ओर कुहासा', लाजपतराय गर्ग का उपन्यास 'कौन दिलों की जाने' और लक्ष्मी तिवारी का उपन्यास 'पड़ाव'.