नई दिल्ली: कुम्भ की विचार परंपरा व अनुभवों पर आधारित स्मारिका 'अमृत कुम्भ' का विमोचन समारोह 'अनावृत' का आयोजन कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के डिप्टी स्पीकर हॉल में किया गया। कुम्भ की महान चिंतन परम्परा को समझते हुए प्रयागराज कुम्भ में संस्कार भारती ने पूरी तरह से साहित्य, कला को समर्पित अपना शिविर लगाया था। इसी से जुड़े अनुभवों तथा कुम्भ के अन्य महत्वों को रेखांकित करती स्मारिका 'अमृत कुम्भ' का विमोचन हुआ। इस स्मारिका में लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी, उत्तर प्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष हृदयनारायण दीक्षित, स्वामी चिदानंद सरस्वती, कवि चिराज जैन, पत्रकार शेफाली वैद, शशिप्रभा तिवारी, कला मर्मज्ञ यतीन्द्र मिश्र, नाटककार सलीम आरिफ और स्वर्ण अनिल जैसी लब्धप्रतिष्ठ विद्वतजनों के आलेख शामिल हैं। इस सुरुचिपूर्ण स्मारिका का संपादन युवा कथाकार राहुल 'नील' ने किया है।

इसी दौरान संस्कार भारती के संस्थापक महामंत्री, पुरातत्ववेता डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर जी के जन्मशताब्दी के अवसर पर प्रकाशित 'दैनन्दिनी का भी विमोचन किया गया। अनावृत कार्यक्रम में संस्क्रा भारती के अखिल भारतीय संगठन महामंत्री अमीऱचंद ने कुंभ के दौरान आयोजित अपना पूर्वोत्तर कार्यक्रम की पूरी संकल्पना को बताया। 14 जनवरी से 4 मार्च तक कुंभ के दौरान पूर्वोत्तर के आठ राज्यों के तीन हजार से अधिक कलाकारों ने प्रस्तुति दी। इसके अलावा संस्कार भारती ने संस्कृति कुंभ के नाम से तीन दिनों की वैचारिक संगोष्ठी का आयोजन भी किया था जिसमें पूरे देश के विद्वानों ने एक साथ बैठकर मंथन किया था।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि रूप में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र के संघचालक बजरंगलाल गुप्त, थे। इनके अलावा संस्कारभारती के संस्थापक पद्मश्री बाबा योगेंद्र, सीसीआरटी की चेयरमैन हेमलता एस. मोहन,संस्कार भारती के उपाध्यक्ष बांकेलाल और बड़ी संख्या में साहित्य एवं कलाप्रेमी मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन राहुल नील ने किया।