लखनऊ: बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग और अमृतलाल नागर सृजन पीठ, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय वर्धा की ओर से 'अमृतलाल नागर-कथा लोक और लोक भाषा' विषयक दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया. इस दौरान मुख्य अतिथि अमृतलाल नागर सृजन पीठ की अध्यक्ष चित्रा मुद्गल, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो़ गिरीश्वर मिश्र, मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित मौजूद रहे. संगोष्ठी में वरिष्ठ कथाकार चित्रा मुद्गल ने कहा कि अमृतलाल नागर की जिंदगी चुनौतियों से लड़ने का साहस देती है. संगोष्ठी में चित्रा मुद्गल ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद के बाद अगर कोई महान उपन्यासकार हुआ है तो वह अमृतलाल नागर ही हैं, लेकिन अफसोस की बात है कि उनके विषय मे हिंदी साहित्य जगत में कम ही चर्चा हुई है. वह नाम से ही नहीं बल्कि असल मायने में साहित्य जगत के अमृत हैं.
प्रोफेसर गिरीश्वर मिश्र ने अपने वक्तव्य में कहा कि अमृतलाल नागर को लखनऊ शहर से विशेष लगाव था, इसलिए उनकी रचनाओं में लखनऊ का विस्तार से वर्णन मिलता है. उन्होंने हिंदी, बृज, अवधी और भोजपुरी में भी रचनाएं की हैं. प्रोफेसर अरविंद कुमार झा ने कहा कि शिक्षा ही एकमात्र ऐसा साधन है जो मनुष्य को मनुष्य बनाती है. इस दौरान प्रोफेसर केके सिंह, प्रोफेसर सूर्य प्रसाद दीक्षित, प्रोफेसर पवन अग्रवाल, प्रोफेसर हरिशंकर मिश्र, प्रोफेसर देवेन्द , प्रोफेसर योगेंद्र प्रताप सिंह, प्रोफेसर वशिष्ठ अनूप, प्रोफेसर हिमांशु सेन आदि ने भी अपने विचार रखे. संगोष्ठी का संयोजन प्रोफेसर केके सिंह, डॉ सर्वेश सिंह, प्रोफेसर अरविंद कुमार झा और संचालन डॉ बलजीत कुमार श्रीवास्तव ने किया. इस आयोजन में अकादमिक और साहित्य क्षेत्र से जुड़ी हस्तियों और छात्रों के अलावा बड़ी संख्या में साहित्यप्रेमियों ने भी शिरकत की.