'द्वाभा' में हिन्दी और उर्दू के लेखकों-रचनाकारों पर केन्द्रित आलेखों के लिए एक अलग खंड रखा गया है, जिसमें मीरा, रहीम, संत तुकाराम, प्रेमचंद, राहुल सांकृत्यायन, त्रिलोचन, हजारीप्रसाद द्विवेदी, महादेवी वर्मा, परसाई, श्रीलाल शुक्ल, गालिब और सज्जाद ज़हीर जैसे व्यक्तित्वों पर कहीं संस्मरण के रूप में तो कहीं उन पर आलोचकीय निगाह से परखा गया है. यह किताब नामवर सिंह के विचार-स्रोतों का पुंज है. एक जगह वह कहते है, 'संस्कृति एकवचन शब्द नहीं है, संस्कृतियाँ होती हैं…सभ्यताएँ दो-चार होंगी लेकिन संस्कृतियाँ सैकड़ों होती हैं…सांस्कृतिक बहुलता को नष्ट होते हुए देखकर चिन्ता होती है और फिर विचार के लिए आवश्यक स्रोत ढूँढ़ने पड़ते हैं.' राजकमल प्रकाशन का दावा है कि हिंदी आलोचना व साहित्य के शोधार्थी और जिज्ञासु पाठकों के लिए यह एक उपयोगी पुस्तक है.
पुस्तक : द्वाभा
लेखक : नामवर सिंह
प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन
हार्डबाउंड मूल्य : 695