भोपालः कांग्रेस की पूर्व सांसद और लेखक मीनाक्षी नटराजन को वर्ष 2018 में प्रकाशित उनके उपन्यास के लिए प्रतिष्ठित वागीश्वरी सम्मान से सम्मानित किए जाने की घोषणा हुई है. मीनाक्षी को यह पुरस्कार सामयिक प्रकाशन से छपे उनके उपन्यास 'अपने अपने कुरुक्षेत्र' के लिए दिया जाएगा. इस उपन्यास में मीनाक्षी नटराजन ने महाभारत की कथा को मूल रूप से उठाते हुए भी समूचे कथानक को अपनी दृष्टि से पुनर्स्थापित किया है. उन्होंने महाभारत के नारी पात्रों के माध्यम से नई बात कहते हुए भी स्त्री, पुरुष और किन्नर सभी पात्रों के साथ न्याय करने की कोशिश की है. कथा तत्व और भाषा शिल्प के लिहाज से भी यह उपन्यास अलग दिखता है। याद रहे कि हिंदी साहित्य और भाषा के संरक्षण और संवर्धन के लिए पांच से भी अधिक दशक से कार्य कर रही प्रदेश की प्रतिष्ठित संस्था मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने साल 1985 में वागीश्वरी पुरस्कार को शुरू किया था. ये पुरस्कार प्रदेश के युवा साहित्यकार की बीते कैलेंडर वर्ष में प्रकाशित श्रेष्ठ चयनित पुस्तक पर प्रदान किया जाता है.
मीनाक्षी नटराजन की पुस्तक '1857 भारतीय परिप्रेक्ष्य' दो खंडों में प्रकाशित हुई थी और बहुत चर्चित भी रही. 'अपने अपने कुरुक्षेत्र' उनकी पहली साहित्यिक औपन्यासिक कृति है. इस उपन्यास में उन्होंने महाभारत के महत्त्वपूर्ण पात्रों सत्यवती, गांधारी, कुन्ती, शिखंडी, द्रौपदी और भीष्म के माध्यम से अंतर्द्वंद्वों का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण किया है. मीनाक्षी नटराजन ने इस उपन्यास के लोकार्पण कार्यक्रम के दौरान यह स्वीकारा था कि इस उपन्यास को लिखने के पूर्व की तैयारियों के दौरान उन्होंने पाया था कि इसे नारियों तक सीमित रखेंगी तो एक दृष्टि मिलेगी, इसीलिए उन्होंने इसे ही केंद्र में रखा. इसके अलावा कृष्ण और भीष्म के संवाद को भी विस्तार दिया है. उनका कहना था कि वेद व्यास ने जिस तरह से हर पात्र को सूक्ष्मता से देखा और उसका नाम तय किया, वह अपने आप में अनूठा था.