नई दिल्लीः प्रगति मैदान में चल रहे दिल्ली विश्व पुस्तक मेले के हाल नंबर 8 स्थित ऑडिटोरियम में समदर्शी प्रकाशन की आठ पुस्तकों का लोकार्पण एक साथ हुआ. इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रसिद्ध हास्य कवि बाबा कानपुरी ने की. मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्द समाजशास्त्री प्रोफेसर आनंद कुमार उपस्थित थे. सुप्रसिद्ध हास्य कवि डॉ परवीन शुक्ल, ओशो वर्ल्ड के संपादक स्वामी चैतन्य कीर्ति, सामाजिक कार्यकर्ता बाबा विजयेंदर एवं प्रसिद्ध एक्यूप्रेशर एवं नुचुरल हीलर कमल आनंद मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित हुए. जिन आठ पुस्तकों का विमोचन हुआ वे क्रमशः 'अहसासों के मोती' कविता संग्रह – संगीता कृति, 'हंसना भी जरूरी है' कविता संग्रह – डॉ राम अकेला, 'पटना वाला प्यार' कहानी संग्रह -अभिलाष दत्त, 'वतन वेदना' कविता संग्रह- गुलाब पांचाल, 'यादों की पुकार' कविता संग्रह- विजय सेहलंगिया, 'इन्तजार' कहानी संग्रह- मालती मिश्रा, 'जिजीविषा' कविता संग्रह- ऊषा लाल एवं 'एक शिष्य की आत्मकथा' लेखक स्वामी कृष्ण वेदांत शामिल हैं. इस अवसर पर समदर्शी प्रकाशन के मुख्य संपादक योगेश समदर्शी ने कहा कि आज के समय में तीन प्रकार का साहित्य हो गया है. एक है सरकार का साहित्य, दूसरा है व्यापार का साहित्य और तीसरा है जनसरोकार का साहित्य. हम पहले दो प्रकार के साहित्य से थोड़ी दूरी बना कर रखना चाहते हैं. फेसबुक के जमाने में जहां हर व्यक्ति लेखक हो गया है, वहां इन स्वयंभू कवियों लेखकों को सहजता से वास्तविक लेखन की तरफ मोड़ने का काम हम कर रहे हैं. पुस्तक छापना एक बात है और पुस्तक का बन जाना दूसरी बात है. आज लोग पुस्तक बनाने पर कम ध्यान देते हैं पुस्तक छापने पर ज्यादा. समदर्शी प्रकाशन वास्तविक पुस्तक के निर्माण का कार्य अपने हाथ में लिए हुए है.
हास्य कवि प्रवीण शुक्ल ने कहा कि आज के दौर में स्तरीय पुस्तकों के प्रकाशन का काम काफी चुनौती पूर्ण है. उन्होंने डाक्टर राम अकेला की पुस्तक हंसना भी जरूरी है को रेखांकित करते हुए कहा कि हास और उपहास में बहुत महीन अंतर होता है. उपहास करने से महाभारत हो जाता है. अतः आज के युग में हास्य लिखना बहुत जोखिम भरा काम है. उन्होंने कहा की डॉ राम अकेला की पुस्तक में संकलित हास्य कविताएं आपको जीवन की आम लगने वाली बातों और संवादों के माध्य से ही हंसाने और गुदगुदाने का काम करने में सक्षम हैं. ओशो के शिष्य और ओशो वर्ल्ड के संपादक स्वामी चैतन्य कीर्ति ने कहा कि ओशो के महत्त्वपूर्ण शिष्य स्वामी कृष्ण वेदांत की पुस्तक 'एक शिष्य की अंतर्यात्रा' का प्रकाशन स्वागत योग्य है. इस पुस्तक में रोचकता है. ओशो का संन्यास रूढ़िवादी संन्यास से अलग है. वह अलग चेतना और आनंद देने वाला है. उत्सव धर्मी संन्यास को गहराई से समझने के लिए स्वामी कृष्ण वेदांत की पुस्तक को पढ़ा जाना चाहिए. प्रसिद्ध समाजशास्त्री प्रोफेसर आनंद कुमार ने कहा कि अच्छी किताबें समाज की महत्त्वपूर्ण जरूरत हैं. कविता जिस समाज को समझ आनी बंद हो जाए वह समाज धीरे-धीरे संवेदना शून्य हो जाता है. नेचुरल हीलर कमल आनंद ने कहा कि स्वास्थ्य सबसे बड़ा प्रश्न है, जिसे किताबों के माध्यम से अपना ज्ञान बढ़ा कर लोग आसानी से हल कर सकते हैं. स्वास्थ्य सम्बन्धी किताबों के पढ़ने से हर व्यक्ति कैसे स्वस्थ रह सकता है, यह ज्ञान जनमानस तक पहुंच सकता है. बाबा विजयेंदर ने कहा कि किताबें किसी विचार को अमर करने का काम करती हैं. इसलिए अच्छी किताबों का प्रकाशन जरूरी है. बाबा कानपुरी ने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि आज भी अच्छी किताबों की आवश्यकता समाज में उतनी ही है जितनी किसी भी समय में थी. उन्होंने इस अवसर पर सभी लेखकों को बधाई दी. कार्यक्रम का संचालन युवा कवि कर्मवीर तंवर एवं योगेश समदर्शी ने किया जबकि एडवोकेट अजय गुप्ता, सुशील खन्ना, पंकज चौधरी, सचिन शर्मा, विकास चौधरी, सतीश सैनी, नीरज भाटिया, वीरेंदर दहिया, वी के शर्मा, योगेश पाल, अजय जांगिड़ आदि अनेक साहित्यप्रेमी इस अवसर पर उपस्थित थे.