नई दिल्लीः साहित्य अकादमी ने डॉ. बी.आर. अंबेडकर की 128वीं जन्मजयंती के अवसर पर बहुभाषी कवि सम्मिलन का आयोजन किया. सम्मिलन में छह भारतीय भाषाओं के 10 कवियों ने कविता पाठ किया. कार्यक्रम के आरंभ में साहित्य अकादमी के सचिव डॉ. के. श्रीनिवासराव ने सभी आमंत्रित कवियों का पुस्तकें भेंट कर स्वागत करते हुए कहा कि डॉ. अंबेडकर ने शिक्षा के माध्यम से लोगों को जागृत कर एक समतावादी समाज की कल्पना की और उसको साकार करने की दिशा में अंत तक लगे रहे. उन्होंने अकादमी के दलित साहित्य केंद्रित द्वारा संचालित विभिन्न आयोजनों की जानकारी देते हुए बताया कि अकादमी हाशिये के स्वरों को निरंतर मंच प्रदान करती रहती है.
कविता पाठ के पहले सत्र में बाङ्ला की सुकृति सिकदर, गुजराती के हरीश मंगलम, हिंदी के मलखान सिंह, अनीता भारती एवं मराठी के प्रतिभा अहिरे ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं. कविता पाठ के दूसरे सत्र में मराठी के कांबले महादेव गोरख, पंजाबी के गुरमीत कल्लार माजरी, तमिळ के अनबाधवन एवं रजत रानी मीनू तथा हिंदी के महेंद्र बेनीवाल ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं. सभी कवियों ने अपनी एक रचना मूल भाषा में प्रस्तुत की और अन्य कविताएं हिंदी अथवा अंग्रेजी में प्रस्तुत कीं. कविताएं मुख्यतः स्त्रियों की दुर्दशा और समाज में जातिगत उत्पीड़न पर केंद्रित थी. कुछ कविताएं डॉ. अंबेडकर के व्यक्तित्व पर भी प्रस्तुत की गईं. कार्यक्रम का संचालन साहित्य अकादेमी की पत्रिका 'समकालीन भारतीय साहित्य' के अतिथि संपादक ब्रजेंद्र त्रिपाठी द्वारा किया गया' कार्यक्रम में भारी संख्या में छात्र-छात्राएं एवं दलित लेखक एवं चिंतक उपस्थित थे.