बरेलीः रंगालय एकेडमी ऑफ आर्ट एंड कल्चरल सोसाइटी की ओर से रंग महोत्सव 'बरंगम-2020' और ऑल इंडिया कल्चरल एसोसिएशन की ओर से अंतरराष्ट्रीय महोत्सव के चलते बरेली जनवरी के पहले हफ्ते में रंगमंच कलाकारों के लिए भारत का सबसे बड़ा शहर बन गया था. अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव का आयोजन नगर के वरिष्ठ समाजसेवी, कलामर्मज्ञ जेसी पालीवाल पिछले कई दशकों से कर रहे हैं. पांच दिवसीय इस महोत्सव में इस बार बंगलादेश और श्रीलंका सहित 19 प्रांतों के करीब छह सौ लोक कलाकारों ने अपनी प्रतिभा से शहर्वासियों को अभिभूत किया, तो तीन दिवसीय अखिल भारतीय नाट्य एवं लोक नृत्य प्रतियोगिता की शुरुआत परिचय संस्था राउरकेला के कलाकारों की नृत्य नाटिका 'श्री कृष्णा' के मंचन से हुई. विंडरमेयर में महोत्सव के अंतर्गत सुशील शर्मा द्वारा निर्देशित नाटक 'अमली' प्रस्तुत किया गया. अमली भारतीय समाज के गांवों में रहने वालों की जिंदगी और खासतौर पर स्त्रियों के जीवन की कहानी है. दलितों या कमजोर भूमिहार की दशा आज भी गांवों में नहीं बदली है. पहले वो जमीदारों से दबते थे तो अब साहूकारों, दबंगों और नेताओं से.
शादी ब्याह के दृश्यों से नाटक शुरू होता है. रमेशरा का ब्याह अमली से होता है. इसके बाद रमेशरा अपने दबंग सेठ महादेव राय के खेत पर मजूरी करने से मना करता है और कलकत्ते जाना चाहता है. अमली और माँ रोकती है लेकिन वो बगैर उनकी चिंता किये कलकत्ते चला जाता है. अब अमली की बर्बादी की कहानी शुरू होती है. बीमार सास की सेवा के साथ वो घर चलाती है, मजदूरी करती है. दवा के लिए रुपये की आवश्यकता पड़ने पर महादेव की ड्योढ़ी पर जाती है लेकिन महादेव की बुरी नजर उस पर है और दबंगई के चलते महादेव अमली के ही आँगन में उसकी इज़्ज़त छीन लेता है. अब अमली पर नज़र गाँव के अबरार खान की है. संघर्ष में जो अमली की मदद करता है उसको मार दिया जाता है. हिन्दू-मुसलमान के दबंग अब आपस में एक हैं. पर जब अबरार अमली को पाना चाहता है तो अमली दुर्गा की तरह स्वयं खड़ी होती है. ऐसी अमली भारत के हर गाँव हर कोने में हैं जो सतायी जा रही हैं, लेकिन उनकी मदद करने को कोई नहीं आने वाला. अंकिता शर्मा ने अमली का रोल बहुत ही अच्छे से निभाया. महादेव के रोल में प्रदीप कटारिया, अबरार बने मनीष सिंह, जुनैद कैफ़ी ने रमेशरा और मुंशी, मोहम्मद साजिद, ख्याति अरोरा, गौरांगी मित्तल, अंकुर नागर सभी ने अपना काम अच्छे से किया. संगीत शशि कुमार पाण्डेय, अनिल मिश्रा, और राजेश पाठक का था. गीत भी इन्हीं लोगो ने गाये.