नई दिल्ली: अंग्रेजी के चर्चित साहित्यकार अमिताव घोष को साल 2018 के लिए ज्ञानपीठ पुरस्कार प्रदान किया जाएगा. ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होने वाले वह अंग्रेजी के पहले लेखक हैं. यह 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार है. पहला ज्ञानपीठ पुरस्कार 1965 में मलयालम लेखक जी शंकर कुरूप को प्रदान किया गया था. ज्ञानपीठ की ओर से निदेशक मधूसूदन आनंद की ओर से जारी विज्ञप्ति के मुताबिक चयन समिति की बैठक में अंग्रेजी के लेखक अमिताव घोष को वर्ष 2018 के लिए 54वां ज्ञानपीठ पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया. इस घोषणा के साथ ही सोशल मीडिया पर ज्ञानपीठ समिति की आलोचना शुरू हो गई है. आलोचकों का कहना है कि देश में जब भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर बल दिया जा रहा है, और पहले से ही हर क्षेत्र में काबिज अंग्रेजी का दबदबा घटाने की कोशिश हो रही है, तब ज्ञानपीठ ने पहली बार अंग्रेजी को शामिल कर एक गलत परंपरा की शुरुआत कर दी है.
अमिताव घोष इस साहित्य पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अंग्रेजी के पहले लेखक हैं. पश्चिम बंगाल के कोलकाता में 1956 को जन्में अमिताव घोष को लीक से हटकर काम करने वाले रचनाकार के तौर पर जाना जाता है. वह इतिहास के ताने बाने को बड़ी कुशलता के साथ वर्तमान के धागों में पिरोने का हुनर जानते हैं. घोष साहित्य अकादमी और पद्मश्री सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं. उनकी प्रमुख रचनाओं में ‘द सर्किल ऑफ रीजन’, ‘दे शेडो लाइन’, ‘द कलकत्ता क्रोमोसोम’, ‘द ग्लास पैलेस’, ‘द हंगरी टाइड’, ‘रिवर ऑफ स्मोक’ और ‘फ्लड ऑफ फायर प्रमुख हैं. ज्ञानपीठ के सूत्रों ने बताया कि अंग्रेजी को तीन साल पहले ज्ञानपीठ पुरस्कार की भाषा के रूप में शामिल किया गया था. इस पुरस्कार के तहत अमिताव घोष को 11 लाख रुपए की राशि, वाग्देवी की प्रतिमा और प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा.