जयपुर: ‘तुम आओ गहन अंधेरा है, हमसे अति दूर सवेरा है, हम भटक रहे हैं राहों में अज्ञान तिमिर ने घेरा है, हे महाऋषि पथ दिखलाओ, है पूर्ण काम-सत्य काम, हे ज्योति पुत्र तुमको प्रणाम.’ अपने इसी गीत के साथ वरिष्ठ साहित्यकार नरेन्द्र शर्मा ‘कुसुम’ ने युवाओं के प्रेरणा पुंज स्वामी विवेकानंद का आह्वान किया. जवाहर कला केन्द्र में राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर आयोजित संवाद प्रवाह में ‘स्वामी विवेकानंद का दर्शन और साहित्य’ विषय पर नरेन्द्र शर्मा ‘कुसुम’, शिक्षाविद डा विद्या जैन ने विचार साझा किए. तसनीम खान सूत्रधार की भूमिका में थीं. सत्र में विवेकानंद के जीवन प्रसंगों, उनके विचारों, वैश्विक स्तर पर उनकी स्वीकार्यता, वर्तमान में विवेकानंद के आदर्शों की प्रासंगिकता, युवाओं के लिए विवेकानंद के महत्त्व समेत कई बिंदुओं पर विशेषज्ञों ने प्रकाश डाला. शर्मा ने कहा कि पहली बार 9वीं कक्षा में विवेकानंद को पढ़ा तो जीवन भर उनका प्रभाव रहा. देश का भविष्य युवाओं पर निर्भर है क्योंकि उनमें संभावना और ऊर्जा दोनों है. उन्होंने कहा कि वृद्धावस्था एक मानसिकता है, विवेकानंद स्वयं कहते थे, ‘स्ट्रैंथ इज लाइफ एंड वीकनेस इज डेथ’, इसलिए शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनना चाहिए. शर्मा ने बताया कि राजस्थान से विवेकानंद का खास रिश्ता है. नरेंद्र को यह नाम खेतड़ी में ही मिला, खेतड़ी में उनका स्मृति मंदिर भी है.
‘जमीं से आसमां की दूरी घटती गयी, बढ़ता गया आदमी से आदमी का फासला’ और यह फासला विवेकानंद के विचार ही दूर कर सकते हैं. उन्होंने धर्म की ऐसी मौलिक परिभाषा दी जो सर्वस्वीकार्य है, वे राष्ट्र को जाग्रत देवता के रूप में आराधना करने की बात कहते थे. युवाओं को सफलता के लिए उन्होंने ‘पवित्रता, धैर्य और दृढ़ता’ का मंत्र दिया. शर्मा ने बताया कि इंटरनेट पर विवेकानंद रियल वॉइस के नाम पर जो आवाज सुनने को मिलती है वह असली नहीं है. इस संबंध में जब विशेषज्ञों से वार्ता की गयी तो बताया गया कि विवेकानंद की आवाज इतनी आकर्षक थी जिसे परिभाषित नहीं किया जा सकता. विवेकानंद को जानने के लिए उन्होंने किताबें पढ़ने पर जोर दिया. डा विद्या जैन ने कहा, सौभाग्य यह है कि विवेकानंद का जन्म भारत में हुआ, उनके प्रगतिशील और क्रांतिकारी विचार समाज के हर वर्ग के लिए है. विवेकानंद ने महासमाधि से पूर्व वैदिक विश्वविद्यालय और महिला विश्वविद्यालय की इच्छा जाहिर की थी. उन्होंने निर्भीक रहने और वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करने पर जोर दिया. वे भारत बनाम वेस्ट की बात नहीं करते थे बल्कि थिंक ग्लोबल एक्ट लोकल का भाव उनके विचारों का सार है. डा विद्या ने यह भी कहा कि सशक्त भारत से ही सशक्त संसार का निर्माण होगा और विवेकानंद के मार्ग पर चलकर युवाओं को ही भारत को सशक्त बनाना है. तसनीम खान ने कहा कि वैदिक मंत्र ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ को विश्व पटल पर पहचान विवेकानंद ने दिलाई और इसी विचार को हमें आगे बढ़ाना है. इस दौरान पद्मश्री से सम्मानित शाकिर अली, वरिष्ठ साहित्यकार लोकेश कुमार सिंह ‘साहिल’ सहित अन्य साहित्य प्रेमी व कला अनुरागी मौजूद रहे.