नई दिल्ली: ‘पर्वत शिरोमणि भगत सिंह कोश्यारी’ पुस्तक भविष्य की पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शन की किरण के रूप में काम करेगी, जिसमें यह दिखाया गया है कि कैसे दृढ़ संकल्प के साथ चुनौतियों का सामना किया जाए और राष्ट्र तथा उसके लोगों की सेवा के लिए प्रतिबद्ध रहें. जिस तरह कोश्यारी के संघर्ष और जीवन ने बहुतों के लिए मार्ग प्रशस्त किया है, उसी तरह यह पुस्तक सार्वजनिक जीवन में छात्रों, शिक्षाविदों और आम जनता को प्रेरित करेगी.” लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में मदन मोहन सती की लिखी पुस्तक का विमोचन करते हुए यह बात कही. बिरला ने उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र और गोवा के पूर्व राज्यपाल और पूर्व सांसद भगत सिंह कोश्यारी की प्रशंसा करते हुए उन्हें एक असाधारण व्यक्तित्व बताया, जिन्होंने साधारण और सरल जीवन जीकर मिसाल प्रस्तुत की है. बिरला ने कहा कि कोश्यारी का संघर्ष, जीवन और राष्ट्र तथा समाज के लिए उनका योगदान केवल वर्तमान पीढ़ी के लिए ही नहीं बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणादायी है. इस अवसर पर स्वयं भगत सिंह कोश्यारी, दिल्ली विधानसभा के उपाध्यक्ष मोहन सिंह बिष्ट, आईजीएनसीए के सदस्य सचिव डा सच्चिदानंद जोशी, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.
लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने कहा कि एक छात्र, राजनेता, लेखक और पत्रकार के रूप में कोश्यारी ने अपना पूरा जीवन राष्ट्र की सेवा में समर्पित कर दिया. उन्होंने निर्धन और हाशिए पर मौजूद लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए अथक प्रयास किया. उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि अपने पूरे जीवन में कोश्यारी ने राष्ट्र को प्रथम स्थान पर रखा, अपने जीवन में उनका यह सिद्धांत अटल रहा. संसद में कोश्यारी के साथ अपने समय को याद करते हुए, लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि, सांसद और संसदीय समिति के अध्यक्ष दोनों के रूप में कोश्यारी ने सर्वोच्च प्रतिबद्धता के साथ संस्था की सेवा करने के लिए एक अद्वितीय समर्पण का प्रदर्शन किया. बिरला ने पहाड़ियों के विकास, वनों के संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों की सुरक्षा के बारे में कोश्यारी की गहरी आस्था का भी उल्लेख किया. अपने संबोधन में बिरला ने कहा कि चाहे वे मुख्यमंत्री रहे हों या राज्यपाल या सांसद, कोश्यारी ने न तो अहंकार दिखाया और न ही सत्ता के प्रति लगाव. वे हमेशा सिद्धांतों और नियमों का पालन करते रहे, चाहे वे पद पर रहे हों अथवा नहीं. लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि भगत सिंह कोश्यारी सेवा, समर्पण, निष्ठा और आध्यात्मिकता की प्रतिमूर्ति हैं. उन्होंने कहा कि कोश्यारी के साथ हर बातचीत ने उन्हें राष्ट्र की सेवा में समर्पित रहने के लिए नई ऊर्जा प्रदान की है.