नई दिल्ली: “हमारी संस्कृति कहती है कि बिना बहस के किसी समस्या का कोई समाधान नहीं मिल सकता. मैं इस पर दृढ़ता से भरोसा करता हूं. दुनिया कई समस्याओं का सामना कर रही है, जिनमें से कुछ प्रकृति में अस्तित्वगत हैं, जैसे कि जलवायु परिवर्तन या रूस और यूक्रेन या इजराइल और हमास के बीच संघर्ष. लेकिन आखिरकार, जैसा कि प्रधानमंत्री ने संकेत दिया, समाधान केवल संवाद और कूटनीति के जरिए ही होता है.” उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा इंटर्नशिप कार्यक्रम के प्रतिभागियों के पांचवें बैच के उद्घाटन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि क्या हम इस समय इस तरह से काम कर रहे हैं? क्या हमने बहस और संवाद के लिए जगह नहीं छोड़ी है, जिससे विघ्न और बाधा खत्म हो जाए? क्या हमने आम सहमति बनाने के लिए जगह नहीं छोड़ी है, जिससे टकरावपूर्ण रुख को ठीक किया जा सके.”
उपराष्ट्रपति ने कहा, “संविधान सभा के समक्ष कई विभाजनकारी मुद्दे, विवादास्पद मुद्दे और बड़ी असहमतियां थीं, लेकिन भावना में कभी कोई कमी नहीं थी. कठिन परिस्थितियों से निपटने के लिए बातचीत की गई, विपरीत परिस्थितियों का सामना किया गया, संवाद, बहस, चर्चा और विचार-विमर्श के जरिए बाधाओं को दूर किया गया. विचार किसी को हराना नहीं था, विचार एक आम सहमति के बनाने का था, एक सर्वसम्मत दृष्टिकोण पर पहुंचने का था, क्योंकि भारत एक ऐसा देश है जो समावेशिता, सहिष्णुता और अनुकूलनशीलता का रोल मॉडल है.” अनुच्छेद 370 पर बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारा भारतीय संविधान डा बीआर अंबेडकर का बहुत आभारी है, वे संविधान की ड्राफ्टिंग कमेटी के अध्यक्ष थे. उनका एक वैश्विक दृष्टिकोण था और वे एक दूरदर्शी थे, उन्होंने, सिवाय एक अनुच्छेद 370 के, संविधान के सभी अनुच्छेदों का ड्राफ्ट तैयार किया. आपने सरदार पटेल को देखा होगा, वे जम्मू-कश्मीर के एकीकरण से नहीं जुड़े थे. डा अंबेडकर बहुत राष्ट्रवादी थे और संप्रभुता उनके दिमाग में थी. उन्होंने एक पत्र लिखकर अनुच्छेद 370 का ड्राफ्ट तैयार करने से मना कर दिया. आपको इसे पढ़ने का अवसर मिलेगा. अगर डा अंबेडकर की इच्छा मान ली गई होती, तो हमें एक इतनी बड़ी कीमत नहीं चुकानी पड़ती, जो हमने चुकाई है.