मधुबनी: कला संस्कृति एवं युवा विभाग पटना एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में राजघाट रामपट्टी मैदान में राजा सलहेस महोत्सव मनाया गया. राजा सलहेस महोत्सव का उद्घाटन जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी नीतीश कुमार, पद्मश्री शिवन पासवान, साहित्य अकादमी पुरस्कार से पुरस्कृत साहित्यकार डा महेंद्र नारायण राम, डा विजय शंकर पासवान, डा फूलो पासवान, बलराम पासवान, विनय कुमार विक्रांत, बुद्ध प्रकाश, राजेश कुमार, कपिल पासवान, चंद्रा कुमारी और पिंकी कुमारी ने संयुक्त रूप से किया. कार्यक्रम में राजा सलहेस के ऊपर परिचर्चा की गयी. जिसमें जिला कला एवं संस्कृति पदाधिकारी नीतीश कुमार डा महेंद्र नारायण राम, डा फूलो पासवान, बलराम पासवान, पिंकी कुमारी ने हिस्सा लिया. परिचर्चा के बाद पद्मश्री से सम्मानित शिवन पासवान, राज्य पुरस्कार से पुरस्कृत अशोक पासवान, कमल पासवान, दिनेश पासवान, श्याम पासवान एवं सीताराम पासवान के द्वारा लोकगाथा गायन हुआ, जिसे काफी सराहा गया.

याद रहे कि राजा सलहेस का जन्म पांचवीं अथवा छठी शताब्दी में मिथिला राज्य के मोरंग क्षेत्र जो अब नेपाल में पड़ता है के किसी अज्ञात गांव में हुआ था. इतिहासकार ब्रजकिशोर वर्मा ‘मणिपद्म’ के अनुसार, सलहेस ‘शैलेश’ का स्थानीय भाषा में परिवर्तित रूप है जिसका अर्थ होता है ‘पर्वतों का राजा’. वे दुसाध जाति के थे. दु:साध्य कार्यों को पूरा करने में निपुण लोगों को दुसाध ‘दु:साध्य’ कहा जाता है. जनश्रुतियों के अनुसार बचपन से ही राजा सलहेस विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे. वे सभी जातियों के लोगों के साथ समभावी और सहृदय थे. एक जनश्रुति यह है कि राजा जनक के उपरांत राजा सलहेस के शासनकाल में मिथिला में सराहनीय उपलब्धि हुई. कार्यक्रम में रमेश मंडल की प्रस्तुति ने दर्शकों में जैसे जान फूंक डाली. वहीं लोकहित रंगपीठ सेवा संस्थान द्वारा श्याम भाष्कर रचित और प्रो महेंद्र लाल कर्ण के निर्देशित राजा सलहेश नाटक का मंचन किया गया. मंच संचालन दुर्गेश मंडल ने किया. इस मौके पर रामपट्टी सहित आसपास के गांवों के लोग लोग उपस्थित थे.