लखीसराय: जिला हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वाधान में शहर के पुरानी बाजार प्रभात चौक स्थित एक सभागार में मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. गोष्ठी की अध्यक्षता सम्मेलन के उपाध्यक्ष वरिष्ठ कवि रामबालक सिंह ने की. कार्यक्रम का संचालन सचिव देवेंद्र सिंह आजाद ने किया. जिला संगठन मंत्री अरविंद कुमार भारती ने आगत अतिथियों का स्वागत किया. सभी कवियों ने देश और समाज की स्थिति के बारे में अपने तरीके से कविताएं पढ़ीं और सामाजिक कुरीतियों को उजागर करने का प्रयास किया. रामबालक सिंह की कविता ‘कैसन भेल जमाना भैया, कैसन भेल जमाना. माउग मर्द एक्के थाली में खाए बैठके खाना‘ से हंसाया, तो देवेंद्र सिंह आजाद की कविता ‘आओ अब तुम्हें हम अपना गांव दिखाएं, जहां बसती देश की आत्मा वहां हम ले जाएं‘ सुनाकर दिल जीत लिया. भगवान राय राही ने ‘धूप में धरती जब खूब तपो है, पानी भी धरती से दूर भागो है‘ सुनाया, तो शंभू लाल शर्मा पंकज ने ‘ना जैबो काशी और काबा, हम दु गो पेड़वा लगैबो हो बाबा‘ कविता सुनाया.
कविता गोष्ठी की अगली प्रस्तुतियों में जीवन पासवान ने ‘थूक-थूक कर चाटना चाट चाट कर थूकना नेताओं की शान बन गई है‘ सुनाया, तो अरविंद कुमार भारती की कविता ‘अपने हृदय के साफ करो, छोटका के गलती माफ करो‘ सुनाकर महफिल लूट ली. बलजीत कुमार की कविता ‘खराब समय में अपना परिवार भी पहचानने से इनकार करता है‘ सुनाया तो शिवदानी सिंह बच्चन की रचना ‘गरम है धरती लागल है आग दुनिया में है भागम भाग‘ सुनाकर सोचने के लिए बाध्य कर दिया. राजेश्वरी प्रसाद सिंह की प्रस्तुति थी, ‘हम अपने शहर का स्वभाव बदलने आए हैं, धूप से सहमे जीवन का छांव बदलने आए हैं‘. प्रो मनोरंजन कुमार ने ‘कठिन डगर पर चल सकते जो सहचर तेरे संग रहे, अब ऐसा ना हो सकता है ना सोच सका क्यों भूल गए‘ सुनाकर माहौल को भावुक कर दिया. कार्यक्रम के दौरान मौजूद कवियों और श्रोताओं का उत्साह चरम पर था. इस दौरान धनेश्वर पंडित की राम आरती को काफी सराहा गया. इसके अलावा राजकुमार की कविता टी 20 हम जीत गए. सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने हिंदी की महत्ता पर विचार प्रकट किया. पेंशनर समाज के सचिव गणेश शंकर सिंह ने आगत अतिथियों का धन्यवाद ज्ञापन किया.