शिमला: भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान की शोध विचार की पत्रिका ‘चेतना‘ का लोकार्पण दिल्ली में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष प्रो विनय सहस्रबुद्धे, संस्थान के अध्यक्ष प्रो शशिप्रभा कुमार, उपाध्यक्ष प्रो शैलेन्द्र राज मेहता, निदेशक प्रो नागेश्वर राव और सचिव मेहरचंद नेगी ने किया. शिमला में भूस्खलन की दुर्घटना में जन-धन की हानि पर श्रद्धांजलि देते हुए यह अंक विलंब से आया. यह दुर्घटना पहाड़ और पानी के संबंध को नये सिरे समझने का आग्रह करती है. अग्रलेख में हिंदी के विख्यात कवि लीलाधर जगूड़ी ने पहाड़ और पानी के संबंध को कवि के नज़रिये से देखा-समझा है. यह पहाड़ पर रहने-जीने वाले कवि की संवेदनशील प्रतिक्रिया है. अशोक कुमार का अंतिम आलेख भी फणीश्वनाथ रेणु के विख्यात रिपोर्ताज़ ‘ऋणजल-धनजल‘ पर एकाग्र है, जो पानी की जीवन में भूमिका पर विचार करता है.
गांधीवादी चिंतक, कवि और नाटककार नंदकिशोर आचार्य का आलेख ‘लोहिया का सभ्यता चिंतन‘ भी इस अंक की उपलब्धि है. रीतारानी पालीवाल ने स्त्री विमर्श और भक्ति काव्य और श्रीनारायण समीर ने स्त्री विमर्श के काव्य मूल्य पर विचार किया है. कौशलेन्द्र प्रताप सिंह एवं अजय कुमार का शोध-लेख समाज कार्य अभ्यास में समकालीन प्रणालियों की प्रासंगिकता और अभिषेक कुमार का शोध-लेख गांधी और अंबेडकर के समानता के विचार पर एकाग्र है. आलोचक-संपादक पल्लव ने एक शताब्दी के विस्तार में फैले कवि नंद चतुर्वेदी के सरोकारों पर विचार किया है. इसी तरह यवनिका तिवारी ने हिंदी नवजागरण और मल्लिका के उपन्यासों की उत्तरजीविता, राजकुमार उपाध्याय मणि एवं रीना मिश्रा पल्ली ने हिंदी साहित्य के प्रथम इतिहास की वैज्ञानिकता, नीरज कुमार सिंह ने भारतीय ज्ञान परंपरा में लोक और शास्त्र और समीक्षा ठाकुर ने राष्ट्रीय मुक्ति और सुभद्रा कुमारी चौहान की विवेचना की है. आवरण चित्र विख्यात कवि-चित्रकार हेमंत शेष का है. अंक में प्रकाशन अधिकारी प्रेम चंद और संपादक मंडल प्रो रामकिशोर शर्मा, प्रो सूर्यप्रसाद दीक्षित और प्रो जितेंद्र श्रीवास्तव के मार्गदर्शन में संयोजक राजेश कुमार का प्रयास दिखता है.