मुंबईः देश की वाणिज्यिक राजधानी में यह दिन साहित्य के नाम था. हेमंत फाउंडेशन की ओर से 20वां विजय वर्मा कथाकार किरण सिंह को उनकी किताबयीशू की कीलेंतथा 17वां हेमंत स्मृति कविता सम्मान सुमिता प्रवीण केशवा को उनकी पुस्तकचाय की चुस्कियों में तुमके लिए वरिष्ठ साहित्यकार सुदर्शना द्विवेदी के हाथों प्रदान किया गया. इस अवसर पर अध्यक्षीय वक्तव्य में सुदर्शना द्विवेदी ने कहा कि अक्षरों के प्रति ईमानदारी लेखन को सार्थक बनाती है. लेखक की जिम्मेदारी अगली पीढ़ी की है. अगर आपके भीतर बेचैनी है तो वह शब्दों के रूप में अवश्य बाहर आती है. यह नहीं सोचना चाहिए कि इससे हमें क्या लाभ है. कार्यक्रम का आरंभ दीप प्रज्वलन तथा ऋतु प्रिया खरे की सरस्वती वंदना से हुआ. संस्था के अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने कहा कि पुरस्कार अपने 20वें पायदान पर है. इन 20 वर्षों में कई बार मनोबल टूटा लेकिन किसी अदृश्य प्रेरणा से हम चलते रहे. कुछ इस अंदाज में किधूल पोछ, कांटे मत गिन, छाले मत सहला, टकराएगा नहीं आज उद्यत लहरों से, कौन ज्वार फिर तुझे दिवस तक पहुंचाएगा.संस्था का परिचय सचिव प्रमिला वर्मा ने दिया. विजय वर्मा कथा सम्मान के लिए चयनित पुस्तकयीशु की कीलेंके बारे में बोलते हुए साहित्यकार हरीश पाठक ने कहा कि किरण सिंह की कहानियां धरातल से उठकर बहुत ही ताकतवर कहानियां हैं. पाठक एक बार पढ़ना शुरू करता है तो बगैर पूरा पढ़े छोड़ नहीं सकता.

चाय की चुस्कियो में तुमपर बोलते हुए रामायण शोध केंद्र भोपाल के निदेशक डॉ राजेश श्रीवास्तव ने कहा कि जब शब्द संवेदना से जुड़ जाते हैं तभी सच्ची कविता का जन्म होता है. इस दृष्टि से सुमिता की कविताएं खरी हैं. किरण सिंह ने धन्यवाद व्यक्त करते हुए कहा, ‘मैं कल्पना को अनुभव से बड़ा सच मानती हूं. अनुभव की सीमा है कल्पना, कई जिंदगियों के साथ संवेदना के आधार पर जुड़ने से प्राप्त सच है कल्पना. आंखों से देखी गई सच्चाई को जब दृष्टि मिलती है तब फैंटेसी संभव हो पाती है. सुप्रसिद्ध साहित्यकार अचला नागर ने महान साहित्यकारों को याद करते हुए बाबूजी अमृतलाल नागर के संस्मरण सुनाए. कवि देवमणि पांडे ने कार्यक्रम का संचालन किया एवं कवयित्री आभा दवे ने धन्यवाद ज्ञापन दिया. सुमिता प्रवीण केशवा अस्वस्थता के कारण उपस्थित नहीं हो सकीं उनका सम्मान आभा दवे ने स्वीकार किया. समारोह में क्षमा पांडे, रजनी मोरवाल, उमाकांत बाजपेयी, जुबेर आजमी, रासबिहारी पांडे, संगीता बाजपेयी, वनमाली चतुर्वेदी, रानी मोटवानी, आभादवे, रितु प्रिया खरे, शिल्पा सोनटक्के, लक्ष्मी यादव, धीरेंद्र अस्थाना एवं ललिता अस्थाना, राजेश विक्रांत, अर्चना पांडे एवं तरुण पांडे आदि उपस्थित थे.