नई दिल्लीः वर्ष 2018 का पंकज सिंह स्मृति पुरस्कार सुपरिचित कवि संजय मिश्र को प्रदान किया जाएगा. निर्णायक मंडल ने अपनी संस्तुति में कहा किलगभग तीस वर्षों से कवि कर्म में संलग्न संजय मिश्र की कविताएं एकरेखीय नहीं हैं. उम्मीद और विचार के संतुलन ने उनकी कविता को एक संतुलित देह प्रदान की है. इस देह में कवित्व का निवास है. संजय मिश्र हिंदी के उन कवियों की पंक्ति में खड़े हैं जो बड़ी लकीर खींचने के लिए किसी छोटी लकीर को मिटाने का आंशिक पक्ष भी नहीं लेते. संकटग्रस्त समय में इस चुपचाप रचने वाले कवि की निर्भ्रांत पक्षधरता उन लोगों में नैतिक साहस का संचार करती है जो वंचितों के पक्ष की लड़ाई लड़ रहे हैं. इस कवि की घर केंद्रित कविताएं साहचर्य का सर्वथा नया सौंदर्यशास्त्र रचती हैं. संजय मिश्र के दो संग्रह प्रकाशित हैं. निर्णायक मंडल संजय मिश्र को वर्ष 2018 का पंकज सिंह स्मृति पुरस्कार प्रदान करते हुए प्रसन्नता और संतोष का अनुभव करता है.

पंकज सिंह स्मृति पुरस्कार के निर्णायक मंडल के सदस्यों में रचनाकार अखिलेश, विजय राय और जितेंद्र श्रीवास्तव शामिल थे. संजय मिश्र को सम्मानित करने का निर्णय सर्वसम्मति से हुआ. याद रहे कि पंकज सिंह कविता के क्षेत्र में काफी प्रतिष्ठित नाम रहे. उनके निधन के बाद उनकी स्मृति में यह पुरस्कार शुरू किया गया. यह सम्मान कहानी, कविता, समालोचना अथवा साहित्य से इतर किसी किताब या अन्य अध्ययन पर भी दिया जा सकता है, पर अभी तक यह कवियों को ही मिला है. इसमें मूल रूप से कवि का कविता कर्म देखा जाता है कि उसने विगत दिनों में किस तरह की कविताएं लिखी हैं. निर्णायक मंडल देशभर के कवियों व उनके सृजन कर्म पर नजर रखकर उनके लेखन का अध्ययन करने के बाद पुरस्कार के लिए चुनाव करता है.  यह राष्ट्रीय स्तर का पुरस्कार है. मप्र के ग्वालियर में रह रहे अशोक पांडेय को पहला पुरस्कार मिला था. उनके बाद युवा कवि बहादुर पटेल को वर्ष 2017 के लिए यह पुरस्कार मिला था.