नई दिल्लीः साहित्य अकादमी द्वारा 'साहित्य मंच' कार्यक्रम के अंतर्गत एक संस्कृत कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. कवि गोष्ठी में काव्यपाठ हेतु तीन संस्कृत कवि आमंत्रित थे – आचार्य अभिराज राजेन्द्र मिश्र, आचार्य रमाकान्त शुक्ल एवं आचार्य परमानन्द झा. कवि गोष्ठी का प्रारम्भ साहित्य अकादमी के सचिव डॉ के श्रीनिवासराव के स्वागत भाषण से हुआ. उन्होंने कहा कि संस्कृत के कार्यक्रम अधिकाधिक होने चाहिए. उन्होंने संस्कृत कार्यक्रम के संस्कृत में संचालन की आवश्यकता बताते हुए वर्षा ऋतु को काव्य की उत्सुकता के रूप में प्रतिपादित किया.
आचार्य अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि साहित्य अकादमी ने संस्कृत भाषा के लिए अविस्मरणीय सेवाएं दी हैं. आगे उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा का विस्मरण संस्कृति का विस्मरण होगा. इसलिए संस्कृत भाषा को सब लोगों को पढ़ना चाहिए. अपने कविता-पाठ में परमानंद झा ने परमेश्वर के ऊपर मातृ-पित्रों पर, गुरुजनों के ऊपर, स्नेहमधुरता के ऊपर कुछ कविताएं पढ़ीं. इसके बाद आचार्य रमाकांत शुक्ल ने सृष्टि और देशभक्ति से प्रेरित कुछ कविताएं सस्वर पढ़ीं, जिसे सुनकर सारे श्रोतागण मंत्रमुग्ध हो गए. इसके बाद साहित्य अकादमी सलाहकार मंडल के संयोजक आचार्य अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने अपने मधुर स्वर में हिमाचली पहाड़ी गीतों की मधुर धुन में संस्कृत गीतों को प्रस्तुत किया. साहित्य अकादमी के उपसचिव डॉ एन सुरेश बाबु ने धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन किया.