नई दिल्लीः साहित्य अकादमी तथा भारत में मैक्सिको राजदूतावास के सहयोग से भारतीय मैक्सिकाई लेखक सम्मिलन का आयोजन किया गया. स्वागत भाषण में साहित्य अकादमी के सचिव के श्रीनिवासराव ने कहा कि दोनों देशों की संस्कृतियां बेहद प्राचीन हैं और दोनों के संबंध हमेशा से रहे हैं. दोनों देश की भाषाओं में परस्पर अनुवाद के जरिए ही हम एक दूसरे के बीच संवाद स्थापित कर सकते हैं. उन्होंने साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित स्पेनिश साहित्य की जानकारी देते हुए बताया कि दोनों देशों के बीच यह आदान प्रदान लगातार चलता रहेगा. जेएनयू में स्पेनिश भाषा केन्द्र के अध्यक्ष रहे एसपी गांगुली ने दोनों देशों के बीच विभिन्न भाषाओं में अनुवाद की प्राचीन परंपरा की जानकारी देते हुए कहा कि भारत में एक हजार से ज्यादा भाषाएं होने के कारण यहां की अनुवाद प्रक्रिया पश्चिमी देशों से बिल्कुल अलग है. उन्होंने कहा कि बाङ्ला कवियों शंख घोष से लेकर बुद्धदेव दास तक सभी वहां से प्रेरणा लेते रहे हैं और अनुवाद में भी सक्रिय रहे हैं. उन्होंने सेसार व्याख्यो की कविताओं के बाङ्ला अनुवादों की चर्चा की, जिसे साहित्य अकादमी ने प्रकाशित किया है.

भारत में मैक्सिको के राजदूत फेदेरिको सालास लोत्फ़े ने कहा कि मैं इस कार्यक्रम को सम्मिलन की जगह संवाद कहना चाहूंगा. मैक्सिको में चौसठ भाषाएं हैं और ये सभी स्वदेशी भाषाएं अपने अस्तित्व के लिए लड़ रही हैं. यूनेस्को द्वारा इस वर्ष को अंतर्राष्ट्रीय स्वदेशी भाषा वर्ष घोषित करने का जिक्र करते हुए कहा कि हमें इन भाषाओं को बचाने के लिए और महत्त्वपूर्ण काम करना है. मैक्सिकन कवियत्री नादिया लोपेज़ गार्सिया ने अपनी भाषा को बचाने में आ रही मुश्किलों का जिक्र करते हुए अपनी कुछ कविताओं को प्रस्तुत किया है. कोस्में आल्वारेज़, गिल्येरमो चावेज़ कोनेख़ो ने भी अपनी कविताएं प्रस्तुत कीं. प्रख्यात मलयाळी कवि एवं आलोचक के सच्चिदानंदन ने स्वयं द्वारा अनूदित विश्व कवियों की कविताओं के अंग्रेजी अनुवाद के पंद्रह खंडों की जानकारी देते हुए कहा कि इसमें लेटिन अमेरिकी कविताओं का स्वर सबसे अलग और मुखर है. शुभ्र बंद्योपाध्याय ने अपनी कविताओं को प्रस्तुत किया तथा उनके स्पेनिश अनुवाद की जानकारी देते हुए कहा कि यह अनुभव स्वयं को बेहद समृद्ध करने वाला था. कार्यक्रम में विभिन्न भारतीय भाषाओं के महत्त्वपूर्ण लेखकों, अनुवादकों सत्यव्रत शास्त्री, सुकृता पॉल कुमार, मंगलेश डबराल, सुरेश ऋतुपर्ण, चंद्रमोहन, सविता सिंह आदि के अतिरिक्त मैक्सिको राजदूतावास के सांस्कृतिक कार्य प्रमुख सेंटिआगो सहित स्पेनिश भाषा के छात्र-छात्राएं भी भारी संख्या में उपस्थित थे.