प्रयागराजः दिग्गज रंगकर्मी उषा गांगुली के निधन से साहित्य का एक कोना भी सूना हो गया. वजह हिंदी पट्टी के लेखकों से उनका लगाव व हिंदी को लेकर उनके द्वारा किया गया उनका काम था. उषा गांगुली 75 वर्ष की थीं और दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हुआ. रंग मंच पर उनके काम का अंदाज इसी से लगा सकते हैं कि उनके निधन की सूचना से न सिर्फ कोलकाता में बल्कि वाराणसी, प्रयाग, दिल्ली और मुंबई तक शोक छा गया. बॉलीवुड अदाकारा शबाना आज़मी ने ट्वीट करते हुए उषा गांगुली को भावपूर्ण ढंग से याद किया. शबाना आज़मी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि यह जानकर बेहद दुख हुआ कि थिएटर की कलाकार उषा गांगुली का उनकी नींद में निधन हो गया. मैंने उसके साथ पीएएआर में काम किया था और उसकी कई प्रस्तुतियों को देखा था, जो वाकई में शानदार और अविश्वसनीय थी. परिवार के प्रति मेरी गहरी संवेदना. श्रद्धांजलि. कोलकाता जैसे बंगीय संस्कृति वाले महानगर में रहने के बावजूद हिंदी व हिंदी पट्टी के लोगों के बहुत निकट थीं. उनके ज्यादातर नाटक हिंदी में ही मंचित हुए हैं. साहित्य से भी उनका लगाव था. वह जब भी प्रयागराज आती थीं तो दूधनाथ सिंह और रवींद्र कालिया से जरूर मिला करती थीं.

उषा गांगुली ने रंगकर्म को एक कला से भी ज्यादा महत्त्वपूर्ण सांस्कृतिक-सामाजिक क्रिया कलाप के रूप में देखा और टीवी, सिनेमा का ग्लैमर छोड़कर रंगमंच के लिए भरपूर समय दिया. वह अधिकतर नाटकों में मुख्य भूमिका के साथ ही खुद निर्देशन भी करती थीं. उन्होंने 1976 में रंगकर्मी समूह की स्थापना की थी. महाभोज, होली, रुदाली, कोट मार्शल जैसे नाटकों के लिए उषा गांगुली हमेशा याद रखी जाएंगी. उनका पहला नाटक 'मिट्टी की गाड़ी' था. उषा गांगुली कोलकाता के एक कॉलेज में हिंदी की शिक्षिका भी थीं. गांगुली को बंगाल में वैकल्पिक हिंदी रंगमंच के एक नए रूप को लाने का श्रेय दिया जाता है. वह कहती थीं, रंगमंच ही मेरा जीवन है और रंगकर्मी मेरा परिवार है. प्रयागराज के मयूर रंगमंच की तरफ से सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए रंगकर्मियों ने  वीडियो कॉलिंग के जरिए उषा को श्रद्धांजलि अर्पित की. मयूर रंगमंच संस्था के अध्यक्ष शशिकांत शर्मा ने उनके प्रयागराज आगमन और प्रसिद्ध नाटक 'हिम्मत माई' के मंचन का उल्लेख किया. सांस्कृतिक मंत्री रिभु श्रीवास्तव के अलावा विनय मिश्रा, आयुष मिश्रा, अनन्या द्विवेदी, विभु श्रीवास्तव, श्याम सुंदर शर्मा, राजीव खरे, राम गोपाल गुप्ता, अनिल कुमार श्रीवास्तव ने उषा गांगुली से जुड़े संस्मरण को साझा किए.