भोपालः मुंशी प्रेमचंद की जयंती हो और परिचर्चा में भारतीय गांवों की बात न हो, यह संभव ही नहीं. कथा सम्राट की रचनाओं का आधार ही देश के गांव थे. इसी तरह जब हम गांवों की बात करेंगे तो महात्मा गांधी को भुलाना भी संभव नहीं है. मुंशी जी की रचनाएं ही नहीं उनके पात्र भी गांवों की सुवास लिये हुये थे. इसी तरह महात्मा गांधी की ग्राम आधारित अवधारणा आज भी मौजूं है. ग्राम स्वराज की बात आज विस्मृत भले ही कर दी गई हो, पर इससे किसे इनकार हो सकता है कि देश का दिल आज भी गांव में ही धड़कता है. मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन के तत्वाधान में स्थानीय मायाराम सुरजन भवन में 'प्रेमचंद जयंती समारोह: 2019' का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें ऐसे ही विचार सामने आये.
इस अवसर पर मुंशी प्रेमचंद पर व्याख्यान एवं कथा पाठ का आयोजन हुआ. व्याख्यान का विषय था 'भारतीय गाँव: गांधी और प्रेमचंद' और मुख्य वक्ता थे प्रोफेसर सियाराम शर्मा. उन्होंने महात्मा गांधी, उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद के सपनों के गांव और वर्तमान हालात की जीवंत व्याख्या की. इसके पश्चात कथा-पाठ का आयोजन हुआ, जिसमें उदिता मिश्रा, तनिष्का वैद्य, लाल जी गौतम व ओमप्रकाश मिश्र रीवा ने अपनी-अपनी कहानी का पाठ किया. समारोह की भूमिका कथाकार महेश कटारे ने रखी. संचालन कवि मणिमोहन मेहता व आभार संध्या ने व्यक्त किया. अतिथि वक्ता और रचनाकारों का स्वागत संस्था के अध्यक्ष पलास सुरजन ने किया. शहर के जाने माने साहित्यकारों व साहित्य रसिकों ने कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.