नई दिल्लीः “बुद्ध का शांति, अहिंसा और सत्य का मार्ग आज भी उतना ही प्रासंगिक है, जितना 2500 साल पहले था. हमें सिर्फ इसका स्मरण करने की ही आवश्यकता नहीं है, बल्कि इसे उसी तरह से आगे बढ़ाने की जरूरत है, जैसे यह सदियों से होता आया है.” यह कहना है संस्कृति और विदेश मामलों की राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी का. वे अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ और हिमालयी बौद्ध सांस्कृतिक संघ के समन्वय से राष्ट्रीय संग्रहालय में वैशाख बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में बोल रही थीं. लेखी ने वहां उपस्थित लोगों से बुद्ध के विचारों से कार्रवाई की ओर बढ़ने का आह्वान किया. महात्मा बुद्ध के शब्दों को उद्धृत करते हुए कहा कि हमारे सभी विचार सुगंध की तरह हैं, इन्हें सभी तक पहुंचना चाहिए और हमें इन्हें क्रियान्वित करने की आवश्यकता है. सम्राट अशोक के शासनकाल के दौरान, कई भिक्षु बुद्ध की शिक्षा लेकर कई देशों में गए. इस संबंध में, हम सभी रक्त, विचार और संस्कृति से जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि संदेश समान रहता है: विचार और कर्म में दयालु बनो, और हर किसी के जीवन में सही कार्य का पालन करो.
संस्कृति मंत्रालय, अंतरराष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ और हिमालयी बौद्ध सांस्कृतिक संघ संयुक्त रूप से बुद्ध की जयंती, उनके ज्ञान प्राप्त करने के दिन और महापरिनिर्वाण दिवस समारोह को बैशाख बुद्ध पूर्णिमा के दिन मना रहे हैं. राष्ट्रीय संग्रहालय में भगवान बुद्ध से जुड़े स्मृति चिन्ह रखे जाने से पहले राष्ट्रीय एकता, सद्भाव और विश्व शांति के लिए प्रार्थना की गई थी. धम्म वार्ता डेपुंग गोमांग मठ के प्रमुख कुंडलिंग तक्षक छोकत्रुल रिनपोछे की ओर से प्रस्तुत किया गया. उन्होंने कहा कि बुद्ध की शिक्षाओं का सार हिमालय के ग्लेशियरों के मीठे पानी की तरह ताजा और महत्त्वपूर्ण है. उनकी शिक्षाओं का संरक्षण, अध्ययन और अभ्यास करना महत्त्वपूर्ण है क्योंकि वे समकालीन दुनिया का दर्द दूर करने के लिए आवश्यक हैं. उन्होंने कहा कि अपनी सर्वोत्तम क्षमता के अनुसार दूसरों की सेवा करना प्रत्येक व्यक्ति का दायित्व है. इस अवसर के विशेष अतिथि भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष डॉ विनय सहस्रबुद्धे थे. उन्होंने कहा कि बुद्ध भारत की अवधारणा के केंद्र में हैं और भारत और बुद्ध गहन रूप से जुड़े हुए हैं. उन्होंने कहा कि सभी भारतीयों में बुद्ध की शिक्षाएं और विचार, आध्यात्मिक और दार्शनिक परंपराओं में अद्वितीय है.