जोधपुर: “राजस्थान के हमारे इस गौरवशाली शहर की एक बहुत पुरानी परंपरा थी कि लोग बैठक और चर्चाएं आयोजित कर अपने से वरिष्ठजनों को सुनते थे. आजकल यह प्रथा लगभग लुप्त सा हो गई है. शब्दरंग की इस पहल से शहर का साहित्य एक बार फिर अपनी जड़ों की ओर लौटकर समृद्ध होगा.” यह कहना था लेखिका सुषमा चौहान का. वे आगामी कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करने के लिए बुलाई गई ‘शब्दरंग’ की विशेष बैठक  में बोल रही थीं. साहित्य और रंगमंच को समर्पित स्थानीय संस्था ‘शब्दरंग’ की अध्यक्ष डा रेणुका श्रीवास्तव ने बताया कि साल के आमंत्रित अतिथि तय करने को लेकर ये बैठक आयोजित की गई थी. इस अवसर पर उपस्थित सभी रंगकर्मी और साहित्यकारों को स्मृति चिन्ह भी प्रदान किया गया. बैठक का संचालन मधुर परिहार ने किया.

इस अवसर पर विचार व्यक्त करते हुए रंगकर्मी शब्बीर हुसैन ने कहा कि साहित्य और रंगमंच को साथ रख कर बहुत कम सोचा जाता है. शब्दरंग के ये कार्यक्रम निश्चित रूप से शहर के रंगकर्म को एक नई दिशा देंगे. अगले महीने का कार्यक्रम शहर की सबसे वरिष्ठ रंगकर्मी और साहित्यकार गीता भट्टाचार्य पर केन्द्रित होगा. स्थानीय मदन-सावित्री डागा साहित्य भवन में आयोजित इस विशेष बैठक में रंगकर्मी भवानी सिंह चौहान, रविन्द्र माथुर, शब्बीर हुसैन, प्रमोद सिंघल और प्रमोद वैष्णव थे. वहीं साहित्यकारों में सुषमा चौहान, आशा पाराशर, ऋचा अग्रवाल, मनीषा डागा, मधुर परिहार और रेणुका श्रीवास्तव उपस्थित थी.