लखनऊः “वो मुझे छोड़कर यूं आगे बढ़ा जाता है, जैसे अब मेरा सफर खत्म हुआ जाता है.” मशहूर शायर मुनव्वर राना के निधन पर प्रोफेसर वसीम बरेलवी की यह पहली प्रतिक्रिया थी. उन्होंने फोन पर दैनिक जागरण से कहा कि मुनव्वर के साथ दर्जनों बार मंच साझा किया. वो देर से मंच पर आए मगर, अमिट छाप छोड़ी. उनके जाने से उर्दू-साहित्य का बड़ा नुकसान हुआ है. मुनव्वर राना के निधन से उर्दू और हिंदी गजल और शायरी में रूचि रखने वालों में शोक की लहर है और सोशल मीडिया पर उन्हें याद करने का क्रम जारी है. उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ‘तो अब इस गांव से रिश्ता हमारा खत्म होता है, फिर आंखें खोल ली जाएं कि सपना खत्म होता है. देश के जानेमाने शायर मुनव्वर राना जी का निधन अत्यंत हृदय विदारक. दिवंगत आत्मा की शांति की कामना. भावभीनी श्रद्धांजलि.‘
कवि कुमार विश्वास ने अपने पोस्ट में लिखा, ‘मुनव्वर राना नहीं रहे. उनके जीवन के आख़री दशक में उनसे गंभीर मतभेद रहे. किंतु कवि-सम्मेलनीय यात्रा के शुरुआती दौर में मंचों पर उनके साथ काफ़ी वक्त बीता. उन तमाम यादों के साथ उन्हें श्रद्धांजलि सहित ईश्वर से प्रार्थना कि उनके परिजनों को शक्ति प्रदान करे. ऊं शांति ऊं.‘ कांग्रेस नेता और राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने एक्स पर लिखा, ‘जिस्म पर मिट्टी मलेंगे पाक हो जायेंगे हम, ऐ ज़मीं एक दिन तेरी खुराक हो जायेंगे हम. अलविदा मुनव्वर साहब, आपका जाना अदबी दुनिया का बड़ा नुकसान है. मैं भारत जोड़ो न्याय यात्रा में हूं और इस खबर ने अंदर तक दुखी कर दिया है. इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन.‘ सोशल मीडिया पर मुनव्वर राना को चाहने वाले उनके एक प्रशंसक ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देते हुए लिखा कि ‘तुम्हें भी नींद सी आने लगी है, थक गए हम भी; चलो हम आज ये क़िस्सा अधूरा छोड़ देते हैं.‘