नई दिल्ली: केंद्रीय साहित्य अकादेमी ने हिंदी के प्रतिष्ठित आलोचक, चिंतक तथा साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्राप्त वरिष्ठ साहित्यकार रमेश कुंतल मेघ के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है. साहित्य अकादेमी के सचिव के श्रीनिवासराव द्वारा जारी शोक संदेश में लिखा गया है कि हमें यह जानकर अत्यंत शोक हुआ कि हिंदी के प्रतिष्ठित आलोचक और चिंतक रमेश कुंतल मेघ का निधन हो गया. प्रोफेसर रमेश कुंतल मेघ अपने पीछे समृद्ध कृतियों की अमूल्य विरासत छोड़ गए हैं, जो हमेशा हमारे बीच रहेंगी. साहित्य अकादेमी प्रोफेसर रमेश कुंतल मेघ के निधन पर अत्यंत शोक प्रकट करती है तथा दिवंगत लेखक के परिवार के प्रति संवेदना निवेदित करती है.
शोक संदेश में बताया गया है कि रमेश कुंतल मेघ का मूल नाम रमेश प्रसाद मिश्र था. आप प्रतिष्ठित हिंदी आलोचक एवं चिंतक थे. आपका जन्म 1 जून, 1931 को कानपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था. आपने आरकंसास विश्वविद्यालय, यूएसए में फ़ुलब्राइट प्रोफ़ेसर तथा गुरु नानक देव विश्वविद्यालय अमृतसर के भाषा संकायाध्यक्ष के रूप में कार्य किया था. मेघ की उल्लेखनीय कृतियों में ‘मिथक और स्वप्न: कामायनी की मनस्सौंदर्य- सामाजिक भूमिका, आधुनिकताबोध और आधुनिकीकरण‘, तुलसी: आधुनिक वातायन से‘ का उल्लेख किया गया और कहा गया कि आपको उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान तथा बिहार सरकार के राजभाषा विभाग के सम्मान सहित आलोचना पुस्तक विश्वमिथकसरित्सागर के लिए वर्ष 2017 का साहित्य अकादेमी पुरस्कार प्रदान किया गया था. यह कृति घने परिश्रम और सघन चिंतन के सहारे तैयार की गई थी. ग्रंथ में सर्वत्र मिथ भौगोलिक मानचित्रों, समय-सारणियों, तालिकाओं, दुर्लभ चित्रफलकों तथा रेखाचित्रों का समावेश इसे अनूठा बनाता है.