नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री डा जितेंद्र सिंह ने भर्ती परीक्षाओं को 13 क्षेत्रीय भाषाओं तक विस्तारित करने की सराहना की जो 2014 से पहले केवल हिंदी और अंग्रेजी भाषा तक सीमित थी. राजधानी के नार्थ ब्लाक स्थित कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग में एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता करते हुए डा जितेंद्र सिंह ने भर्ती प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और प्रौद्योगिकी आधारित सुधारों के माध्यम से शासन को बेहतर बनाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया. डा जितेंद्र सिंह ने कहा कि भर्ती चक्र का औसत समय 15 महीने से घटाकर 8 महीने कर दिया गया है ओर आने वाले दिनों में इसमें और कटौती की योजना है. उन्होंने सार्वजनिक परीक्षा- अनुचित साधनों की रोकथाम- अधिनियम, 2024 को भी याद किया, जो उनके प्रयासों से प्रेरित था, और पुष्टि की कि इसके नियम और विवरण अधिसूचित किए गए हैं. केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री- स्वतंत्र प्रभार; पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार; प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग और कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन विभाग डा जितेंद्र सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे कंप्यूटर आधारित परीक्षा आयोजित करने के लिए मानक और दिशा-निर्देश स्थापित करें, ताकि सभी उम्मीदवारों के लिए समान अवसर सुनिश्चित हो सकें. उन्होंने नौकरी चाहने वालों पर बोझ कम करने और कई प्लेटफार्मों पर आवेदन करने से उनका समय और ऊर्जा बचाने के लिए ‘एकल नौकरी आवेदन पोर्टल’ बनाने का भी निर्देश दिया.

केंद्रीय मंत्री डा सिंह ने मिशन कर्मयोगी का जायजा लिया और कहा कि अब तक करीब 89 लाख कर्मयोगी इसमें शामिल हो चुके हैं. उन्होंने सरकारी कर्मचारियों के लिए क्षमता निर्माण के महत्व पर जोर दिया तथा उनके समग्र विकास और कार्यस्थल की कार्यकुशलता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया. केंद्रीय मंत्री ने अधिकारियों को सुशासन कार्यों का एक संग्रह बनाने और अन्य विभागों के लिए उनका अनुसरण करने के लिए उन्हें बढ़ावा देने का निर्देश दिया. शासन में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग पर जोर देते हुए डा जितेन्द्र सिंह ने सीपीजीआरएएमएस 2.0 में इसकी सफलता का हवाला दिया जो एक एआई-सक्षम शिकायत निवारण प्रणाली है. डा सिंह ने निरंतर डिजिटलीकरण पर भी जोर दिया और याद दिलाया कि कैसे कोविड-19 महामारी लाकडाउन के दौरान 70-80 फीसदी सरकारी काम आनलाइन किए गए थे, जिसका श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया मिशन को जाता है. जिसकी परिकल्पना 2015 में की गई थी. समीक्षा के दौरान डा सिंह ने अधिकारियों द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब भी दिए और उन्हें आगे की राह के बारे में बताया. इस उच्च स्तरीय बैठक में कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की सचिव रचना शाह के साथ मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए.