मुजफ्फरपुर: नटवर साहित्य परिषद ने स्थानीय सरैयागंज स्थित श्री नवयुवक समिति सभागार में मासिक काव्य गोष्ठी सह मुशायरा का आयोजन किया. काव्य गोष्ठी में विजय शंकर मिश्र ने ‘बीत गए दिन मेघ नहीं आए‘ सुनकर भरपूर तालियां बटोरी. सुमन कुमार मिश्र ने ‘बरसो मेरे गांव में जलधर अमन चैन का बादल बनकर‘ सुनाई, तो डा पुष्पा गुप्ता ने ‘होरी हो गइल धनवान धनिया पेन्ह चुनरी, अवत समय चढ़ल परवान‘ को बहुत तारीफ मिली. डा जगदीश शर्मा ने सुनाया ‘भाई बहन का प्यार आ रहा रक्षा बंधन का त्योहार‘, तो सत्येंद्र कुमार सत्येन ने ‘हम त जाईब हो बलमुआ बाबा धाम‘ सुनाकर भोजपुरी का माहौल जमा दिया.अंजनी कुमार पाठक की मार्मिक रचना ‘तुम नहीं रहे घर बिखर गया, पतझड़ सा जीवन हो गया‘ की बहुत सराहना मिली. लोकनाथ मिश्र ने ज्वलंत मुद्दे पर रचना ‘पूछ रहा है मणिपुर‘ सुनाकर भरपूर तालियां बटोरीं. सविता राज की गजल ‘लबों पर मुस्कान दिखानी होती है, हर दर्द सीने में छुपानी होती है‘ को भी खूब सराहना मिली.
काव्य गोष्ठी में विजय शंकर प्रसाद ने ‘जहर और जिंदगी आज तो जैसे शहर‘ सुनाई, तो संतोष कुमार सिंह की रचना थी ‘मुझे स्वाभिमान है साहित्य पर‘. शशि रंजन वर्मा ने ‘काहे कईलू धनिया नजरिया मिलके‘ सुनाई, तो सहज कुमार ने देशभक्ति रचना ‘जहां बहती गंगा की धारा है, भारत देश हमारा है‘ सुनाकर देशभक्ति का माहौल जमाया. मुन्नी चौधरी ने ‘देखो वर्षा ऋतु आई चारों ओर हरियाली छाई‘ सुनाया तो अरुण कुमार तुलसी ने ‘सावन की रिमझिम बूंदें, मन में आग लगाई‘ गाया. उमेश राज ने ‘इंतज़ार है मुझे जब कोई किसान निकलेगा, संसद के सड़कों पर‘ सुनाया, तो रामवृक्ष राम चकपुरी ने ‘सुलग रही चिंगारी उठने लगी, लपटें जला देंगी‘ सुनाकर साहित्यिक रस घोल दिया. रामकुमार यादव ने ‘एक बार आंदोलन उठाएंगे शोषित वंचित को अधिकार दिलायेंगे‘ सुनाया. कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रो डा पुष्पा गुप्ता ने की तो मंच संचालन डा विजय शंकर मिश्र ने किया. धन्यवाद ज्ञापन सुमन कुमार मिश्र ने किया. मौके पर सुनील कुमार ओझा, सुरेंद्र कुमार आदि उपस्थित रहे.