मुंबई: “गजल राग और अनुराग का समन्वय है. वह आयी तो उर्दू से है, पर उसे अपार लोकप्रियता हिंदी में मिली. आज यह मेरे लिए भावुक क्षण है. गजल के दो सितारे हस्तीमल हस्ती और जहीर कुरैशी को खोकर मैं बहुत गरीब हो गया हूं.” यह बात गजलकार प्रो नन्दलाल पाठक ने कही. वे प्रख्यात साहित्यकार, गजलकार हस्तीमल हस्ती की जयंती पर प्रथम हस्तीमल हस्ती सम्मान से सम्मानित होने के बाद बोल रहे थे. इस सम्मान के तहत उन्हें ग्यारह हजार रुपये, शाल, श्रीफल व सम्मान पत्र प्रदान किया गया. हस्ती के पुत्र प्रमोद औरा कमलेश ने पाठक का अभिनंदन किया. रंजना पोहनकर ने सभी का स्वागत किया.
‘शोधावरी’ द्वारा मुंबई विश्वविद्यालय के जेपी नायक भवन में आयोजित इस समारोह की अध्यक्षता हृदयेश मयंक ने की. याद रहे कि ‘देव का देवत्व दानव की दनुजता, आदमी के आचरण की देन है’ जैसी एक से बढ़कर एक रचनाओं से हिंदी साहित्य को समृद्ध करने वाले पाठक ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से शिक्षा पूरी करने के बाद अधिकांश समय मुंबई में बिताया. उन्होंने खूब गजलें लिखीं और कई सम्मानों से सम्मानित भी हुए. वक्ताओं ने कहा कि पाठक ने हिंदी काव्य साहित्य को भाषा, भाव और विचार के स्तर पर समृद्ध किया है. संचालन डा हूबनाथ पांडेय व आभार भाग्यश्री वर्मा ने व्यक्त किया. इस अवसर पर अवधेश राय, सुमन जैन, सुधीर तातेड़, रमन मिश्र व सांवरमल सांगनेरिया ने अपने विचार व्यक्त किये. इस अवसर पर हस्ती और पाठक की गजलों का सस्वर पाठ हुआ. इस मौके पर हरीश पाठक, रीता दास राम, रमेश मिलन, हरिप्रसाद राय, राकेश शर्मा सहित तमाम रचनाधर्मी मौजूद थे.