नई दिल्ली: “किसी व्यक्ति की जेब को मजबूत करने की जगह हमें उनके दिमाग और क्षमताओं को सुदृढ़ करना चाहिए.” उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शांतिगिरी आश्रम के रजत जयंती समारोह को संबोधित करते हुए यह बात कही. उन्होंने कहा कि आज देश में एक ऐसी सोच को बढ़ावा देने की जरूरत है, जो हमारी सभ्यतागत लोकाचार को दिखाती है. उन्होंने ‘हमारी संस्कृति को हमारा आधार’ बताया और सभी लोगों से भारत के प्राचीन ज्ञान व उपलब्धियों पर गर्व करने के लिए कहा. गुरु-शिष्य परंपरा को फिर से जीवित करने का आह्वान करते हुए उपराष्ट्रपति ने कौशल विकास के माध्यम से मानव संसाधनों को सशक्त बनाने और महिला सशक्तीकरण पर अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए शांतिगिरी आश्रम की प्रशंसा की. धनखड़ ने कहा कि महिलाओं का सशक्तीकरण मानवता के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण है. यह कोई विकल्प नहीं है- यही एकमात्र रास्ता है! इस संबंध में उन्होंने हाल ही में संसद में पारित महिला आरक्षण विधेयक के महत्त्व को रेखांकित किया.
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने आयुर्वेद पंचकर्म प्रशिक्षण केंद्रों के संचालन में शांतिगिरी आश्रम के प्रयासों की सराहना की और आयुर्वेद, सिद्ध और आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के प्राचीन औषधीय ज्ञान के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंध की जरूरत व्यक्त की. उपराष्ट्रपति ने कहा कि स्वास्थ्य प्रबंधन में भारत के पास जो संपदा का भंडार था, उसे हम भूल गए. यह जानकर प्रसन्नता हुई कि आज इन्हें व्यापक रूप से वैश्विक स्तर पर मान्यता मिल रही है. उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को स्वास्थ्य क्षेत्र का महत्त्वपूर्ण पहलू बताते हुए गहन परामर्श और सहायता के माध्यम से इसके समाधान का आह्वान किया, जिससे लोग उम्मीद न खोएं. उन्होंने प्राकृतिक संसाधनों के विवेकहीन दोहन की जगह उनके जिम्मेदार उपयोग की जरूरत पर जोर दिया. उपराष्ट्रपति ने कहा, “हमें यह अनुभव करना होगा कि पृथ्वी ग्रह केवल मनुष्यों के लिए नहीं है, बल्कि यह सभी जीवित प्राणियों के लिए है.” इस अवसर पर संसद सदस्य शशि थरूर, शांतिगिरी आश्रम के महासचिव स्वामी गुरुरेथनम ज्ञान तपस्वी, केरल सरकार के विशेष प्रतिनिधि प्रोफेसर केवी थामस, शांतिगिरी के अध्यक्ष स्वामी चैतन्य ज्ञान तपस्वी और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.