नई दिल्ली: जानकी देवी मेमोरियल कालेज और साहित्य संचय शोध संवाद फाउंडेशन ने ‘वैश्विक समस्याओं का समाधान: भारतीय चिंतन के परिप्रेक्ष्य में’ विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन कराया. संगोष्ठी का शुभारंभ कालेज की प्राचार्य प्रोफेसर स्वाति पाल, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय ओपेन यूनिवर्सिटी के प्रो-वाइस चांसलर प्रोफेसर किरण हजारिका और श्रीवेंकटेश्वर कालेज की डा पुनीता शर्मा ने दीप प्रज्वलन कर किया. बीज वक्तव्य में डा पुनीता शर्मा ने भारतीय चिंतन परंपरा के विभिन्न आयामों और उसके महत्त्व के बिंदुओं को प्रस्तुत किया. प्रथम सत्र में अध्यक्ष रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर पूरनचंद टंडन, मुख्य वक्ता के रूप में श्यामलाल कालेज के डा सत्यप्रिय पांडे और दिल्ली विश्वविद्यालय के डा प्रदीप कुमार सिंह ने भारतीय चिंतन परंपरा को ध्यान में रखते हुए मानवीय मूल्यों से उसे जोड़कर अपने विचार प्रस्तुत किए.
द्वितीय सत्र में अध्यक्ष रूप में भारत सरकार के पदाधिकारी एसके वार्ष्णेय और मुख्य वक्ता के रूप में श्रीलाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ विश्वविद्यालय दिल्ली के प्रतिनिधि प्राध्यापक तथा नेहरू कालेज फरीदाबाद की डा प्रतिभा चौहान ने योग और स्वास्थ्य के साथ पर्यावरणीय चेतना पर प्रकाश डाला. संगोष्ठी में विभिन्न विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों के 77 प्राध्यापकों के साथ-साथ विभिन्न शोधार्थियों ने भी प्रतिभागिता निभाई. कुछ चुनिंदा शोधपत्रों का आलेख-पाठ और प्रमाण-पत्र वितरण भी इसी सत्र में हुआ. हिंदी विभाग के सदस्यों और संगोष्ठी संयोजन समिति के सदस्य रूप में प्रो संध्या गर्ग, मीनाक्षी, डा निशा मालिक, डा अनिल सोलंकी, डा दीनदयाल, डा मंजरी गुप्ता, डा दीनदयाल, डा विवेक शर्मा, डा राहुल जमलोकी, डा श्रवण गुप्ता और डा रुचि शर्मा की अहम भूमिका रही.