उदयपुरः मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग ने अपनी पूर्व भाषाओं के संरक्षण के लिए एक बड़ा कदम उठाते हुए प्राकृत भाषा के विकास एवं उन्नयन हेतु दिगंबर जैन ग्लोबल महासभा के अध्यक्ष जमनालाल हपावत की सहभागिता से एक संस्थान स्थापित करने का फैसला किया है. इसके पहले चरण में पांच करोड़ रुपए खर्च कर देश-विदेश में पड़ी पांडुलिपियों को संग्रहित किया जाएगा. विश्वविद्यालय में स्थापित संस्थान जैन विद्या एवं प्राकृत भाषा साहित्य को संरक्षण देने के साथ ही प्रोत्साहित करने का भी प्रयास करेगा. इस हेतु श्रमण परम्परागत दैनिक प्राकृत प्रक्रियाओं का संरक्षण, प्रशिक्षण, प्रकाशन एवं प्रचार भी किया जाएगा.
मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग के प्रभारी अध्यक्ष डॉ ज्योतिबाबू जैन के अनुसार यह संस्थान देश-विदेश के सुदूर अंचलों में फैली हुई प्राकृत की हस्तलिखित कृतियों, पाण्डुलिपियों का सर्वेक्षण, क्रय, संग्रह एवं प्रकाशन, डिजिटलाइलेशन करने के अलावा प्राकृत भाषा एवं साहित्य को जनसुलभ बनाने के लिए मानक ग्रन्थों के प्रकाशन के साथ ही उनके हिंदी और अन्य भाषाओं में अनुवाद के सस्ते और प्रमाणिक संस्करण उपलब्ध कराएगा. इस प्राकृत भवन के लिए लॉ कॉलेज हॉस्टल के समीप 30 हजार वर्ग फीट जमीन अधिग्रहित की गई है, ताकि इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ा जा सके.