रांची: हिंदी साहित्य के व्यवस्थित इतिहास के प्रथम लेखक, साहित्यकार और कवि आचार्य रामचंद्र शुक्ल की 139वीं जयंती के अवसर पर झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच के तत्वावधान में ऑनलाइन संगोष्ठी सह शब्द भावांजलि कार्यक्रम आयोजित हुआ. कार्यक्रम की शुरुआत सुनीता कुमारी द्वारा मां शारदे की वंदना से हुई. मंच के सदस्य हिमकर श्याम ने मुख्य अतिथि के रूप में डा जेब पांडेय, संरक्षक विनय सरावगी एवं सभी रचनाकारों का स्वागत किया. मुख्य अतिथि ने अपने अभिभाषण में आचार्य शुक्ल के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला और उनसे जुड़े संस्मरण सुनाए. समारोह की अध्यक्षता कर रहे निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल की सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक समीक्षा-कृतियों, हिंदी साहित्येतिहास लेखन की परंपरा और प्रसिद्ध अंग्रेजी समीक्षक टीएस इलियट और आचार्य रामचंद्र शुक्ल के काव्य प्रतिमानों की चर्चा की और कविता पाठ किया.
मंच के सचिव विनोद सिंह गहरवार ने महाकवि आचार्य रामचंद्र शुक्ल को लेखन की सभी विधाओं का सिद्धहस्त बताया एवं इन्हें मां सरस्वती के प्रिय पुत्र की संज्ञा दी. इस मौके पर काव्यगोष्ठी में कई रचनाकारों, कवियों ने अपनी कविताएं सुनाईं. कृष्णा विश्वकर्मा बादल, ऋतुराज वर्षा, डा मंजू सिन्हा, अनिता रश्मि, डा अंजेश कुमार, नरेश बांका, अर्पणा सिंह, डा एनके पाठक, विजय रंजन, डा गौतम कुमार, डा ओम प्रकाश, आचार्य गौरीशंकर उपाध्याय, रीना गुप्ता, अजीत कुमार प्रसाद आदि की कविताओं, हिमकर श्याम, कामेश्वर सिंह कामेश और राज रामगढ़ी की गजलें, बिनोद सिंह ‘गहरवार‘ के मुक्तक, डा रेणुबाला धार, डा सुरिंदर कौर नीलम एवं डा गीता सिन्हा गीतांजलि के गीतों एवं डा शिवनंदन सिन्हा के नवगीत तथा ममता मनीष सिन्हा की शहीद भगत सिंह पर ओजस्वी कविता की अजस्र धारा बही. कार्यक्रम का संचालन ममता मनीष सिन्हा और धन्यवाद ज्ञापन विनोद सिंह गहरवार ने किया.