नई दिल्ली: तमिल साहित्य की सबसे महत्वपूर्ण कृतियों में से एक ‘कम्ब रामायण’ को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र ने एक व्यापक पहल की है. इसका उद्देश्य ‘कम्ब रामायण’ के वाचन की मौखिक परंपरा और इसके व्यापक सांस्कृतिक प्रभाव को पुनर्जागृत करना है. इस समारोह का उद्घाटन तमिलनाडु सरकार के समन्वय से केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने की. इसके बाद तमिलनाडु के कई मंदिरों में इसका प्रदर्शन हो रहा है, जिनमें कुंभकोणम, चेंगलपट्टू, रामनाथपुरम, चेन्नई, तंजावुर और अन्य स्थल शामिल हैं. इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का उद्घाटन समारोह ऐतिहासिक श्रीरंगम मंदिर त्रिची में हुआ, जिसमें सम्पूर्ण तमिलनाडु से कम्ब रामायण मंडली जो राज्य की सांस्कृतिक मंडली का हिस्सा है, ने भाग लिया. इन स्थानीय सांस्कृतिक मंडलियों ने महाकाव्य का पारंपरिक पाठ करने के साथ तथा अपनी अनूठी मंत्रोच्चार तकनीक का भी प्रदर्शन किया. इस पहल के तहत इस महाकाव्य के प्रदर्शन, इससे संबंधित कार्यशाला, संगोष्ठी और शैक्षिक प्रतियोगिताओं की एक श्रृंखला भी शामिल हो रही है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि भावी पीढ़ियां इस महाकाव्य से जुड़ सकें और इसकी सराहना कर सकें, जो लंबे समय से तमिल विरासत का अभिन्न अंग रहा है.
‘कम्ब रामायण’ से जुड़ा यह कार्यक्रम तीन अलग-अलग चरणों में आयोजित किया जा रहा है, जिनमें से प्रत्येक कम्ब रामायण के संरक्षण और प्रसार में योगदान देगा. पहले चरण में श्रीरंगम मंदिर में उद्घाटन समारोह के बाद सम्पूर्ण तमिलनाडु से कम्ब रामायण मंडली द्वारा गायन और प्रदर्शन किया जा रहा है. इन मंदिरों में थिरुपुलम्बुथांगुडी, मदुरंतकम, थिरुनीरमलाई और वडुवुर शामिल हैं. दूसरा चरण कम्ब रामायण महोत्सव का है, जो 30 मार्च से 06 अप्रैल तक थेराझुंडूर में कंबर के जन्मस्थान कंबरमेडु में एक सप्ताह तक चलेगा. इस समारोह में कम्ब रामायण का निरंतर पाठ, नृत्य नाटक और महाकाव्य के सांस्कृतिक और साहित्यिक महत्व पर विद्वानों की चर्चाएं होंगी. डा सुधा शेषयान, भारती भास्कर और दुष्यंत श्रीधर जैसे प्रतिष्ठित विद्वान एवं कलाकार संगोष्ठियों का नेतृत्व करेंगे, जबकि कम्ब रामायण पर आधारित नृत्य प्रदर्शन गाथा को नवीन नाट्य शैलियों में जीवंत रूप प्रदान करेंगे. तीसरे चरण में राज्यव्यापी कार्यक्रम और विद्यालयों की सहभागिता होगी, जो जुलाई से अक्टूबर तक चलेगी. इसके तहत पूरे तमिलनाडु के स्कूलों और कालेजों में कार्यशालाओं और प्रतियोगिताओं की एक शृंखला आयोजित होगी, जिसमें छात्रों को पाठ और विद्वानों की चर्चाओं के माध्यम से कम्ब रामायण से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इस चरण का समापन कम्बारमेडु में एक समारोह के साथ होगा, जहां सर्वश्रेष्ठ कलाकार दशहरा समारोह के दौरान अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करेंगे.