रांची: डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची के मानवशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अभय सागर मिंज की कृति ‘आदिवासी दर्पण’ का लोकार्पण रांची के डोरंडा स्थित संत जेवियर स्कूल में हुआ. डॉ मिंज इस स्कूल के पूर्व छात्र रहे हैं. कल्पना सोरेन कार्यक्रम की मुख्य अतिथि थी. उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लिए यह निश्चय ही गौरव का पल है. आदिवासी लेखक है, आदिवासी समाज है और लोकार्पण की मुख्य अतिथि भी एक आदिवासी है. उन्होंने डॉ मिंज के कार्यों की सराहना की और कहा कि आदिवासी समाज में भी भरपूर क्षमता है. डॉ अभय मिंज समाज में एक प्रेरणास्रोत के रूप में स्थापित हो गये हैं. डॉ मिंज ने अपने बाल्यावस्था के दिनों की चर्चा की और कहा कि उनके जीवन में अहम परिवर्तन लाने में स्कूल में उनकी शिक्षिका माला बोस ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है. कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि सेवानिवृत्त शिक्षिका माला बोस ने अपने संबोधन में अपने अनुभव साझा किये. मालूम हो कि डॉ अभय सागर मिंज वर्तमान में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय, रांची के सहायक प्राध्यापक और लुप्तप्राय देशज भाषाओं और संस्कृतियों के अंतरराष्ट्रीय प्रलेखन केंद्र के निदेशक हैं.

कार्यक्रम की अध्यक्षता फादर अजीत कुमार खेस ने की. उन्होंने इसे विद्यालय के लिए गर्व का क्षण बताया और डॉ मिंज के साथ सामाजिक रूप से लंबे समय के अनुभवों को साझा किया. फिल्म निर्माता मेघनाथ ने कहा कि अभय मिंज की वर्तमान कृति झारखंडी बौद्धिक पुनर्जागरण की मजबूत नींव रखेगी. सेंट्रल यूनिवर्सिटी झारखंड की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुचेता सेन चौधरी ने कहा कि पुस्तक में आदिवासियों के सामाजिक-सांस्कृतिक पक्षों का गंभीर वैज्ञानिक विश्लेषण है. फिल्म निर्माता बीजू टोप्पो ने कहा कि यह आदिवासियत का जीवंत दर्पण है- आदिवासी के द्वारा, आदिवासियों के लिए. ओसलो मेट्रोपोलिटन यूनिवर्सिटी, नॉर्वे के डॉ राहुल रंजन ने कहा कि यह पुस्तक आदिवासी अध्ययन पर बढ़ते साहित्य में एक महत्त्वपूर्ण योगदान है. कार्यक्रम में डॉ मिंज की मां एम बखला भी उपस्थित थीं. वह रांची विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष रही हैं. फादर इग्नेशियस लकड़ा ने स्वागत भाषण दिया. फादर फुलदेव ने मंच संचालन किया और डॉ स्मिता टोप्पो ने धन्यवाद ज्ञापन किया.