
दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति
अपनी भाषा हिंदी में मौलिक शोध को बढ़ावा देने के लिए हिंदी हैं हम के अंतर्गत दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति की शुरुआत की गई थी। दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के अंतर्गत राजनीति शास्त्र, समाज शास्त्र, अर्थनीति और कूटनीति आदि में हिंदी में मौलिक शोध कराने के लिए शोधार्थियों से आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के आवेदन पर सम्मानित निर्णायक मंडल मंथन कर विषय और शोधार्थी का चयन करते हैं। चयनित विषय पर शोधार्थी को कम से कम छ: महीने और अधिकतम नौ महीने के लिए दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति दी जाती है। दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के लिए अंतराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक हर महीने 75000 रुपए मानदेय दिए जाने का प्रावधान है। दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के दौरान चयनित शोधार्थी को हर तीन महीने पर अपने कार्य की प्रगति रिपोर्ट विशेषज्ञों के समक्ष प्रस्तुत करनी होती है। शोध की समाप्ति के बाद शोधार्थी को करीब दो सौ पन्नों की एक पुस्तक प्रस्तुत करनी होगी। दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के तहत किए गए शोधकार्य के प्रकाशन में दैनिक जागरण मदद करता है। लेकिन पुस्तक पर शोधार्थी का सर्वाधिकार सुरक्षित होगा। इस कार्यक्रम के अंतर्गत अबतक तीन पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है।
ज्ञानवृत्ति का निर्णायक मंडल
सामान्यतः पूछे जाने वाले प्रश्न
दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति, ‘हिंदी हैं हम’ अभियान के अंतर्गत शुरू की गई एक पहल है, जिसका उद्देश्य हिंदी भाषा में मौलिक शोध को प्रोत्साहित करना है।
सिनेमा और साहित्य से इतर सभी विषयों पर
शोधार्थियों से आवेदन प्राप्त होने के बाद सम्मानित निर्णायक मंडल प्रत्येक आवेदन पर मंथन कर विषय और शोधार्थी का चयन करता है।
शोध प्रस्ताव में निम्न बिन्दुओं का उल्लेख करना शोधार्थियों के लिए अत्यंत आवश्यक है :
(1) विषय प्रस्तावना : न्यूनतम 500 शब्दों में
(2) शोध की रूपरेखा
(3) शोध का उद्देश्य
(4) शोध प्रक्रिया
(5) शोध कार्यक्षेत्र
चयनित शोधार्थी को कम से कम 6 महीने और अधिकतम 9 महीने की अवधि के लिए ज्ञानवृत्ति प्रदान की जाती है।
चयनित शोधार्थियों को हर महीने ₹75,000 का मानदेय दिया जाता है।
हाँ, शोधार्थी को हर तीन महीने में अपने कार्य की प्रगति रिपोर्ट विशेषज्ञों के समक्ष प्रस्तुत करनी होती है।
शोध की समाप्ति पर शोधार्थी को लगभग 200 पन्नों की एक पुस्तक प्रस्तुत करनी होती है।
हाँ, दैनिक जागरण प्रकाशन में सहायता करता है। हालाँकि पुस्तक पर शोधार्थी का सर्वाधिकार सुरक्षित रहता है।
अब तक इस कार्यक्रम के अंतर्गत तीन पुस्तकों का प्रकाशन किया जा चुका है।
स्नातक एवं स्नातक से ऊपर की कक्षाओं के विद्यार्थियों हेतु
किसी भी राज्य/देश
नहीं
हाँ
हाँ
नहीं
निर्णायक मंडल और शोधार्थी के बीच परस्पर विचार/आकलन के द्वारा
हाँ
नहीं
नहीं
नहीं
नहीं
पहली दैनिक जागरण ज्ञानवृत्ति के अंतर्गत चयनित शोधार्थी
दीप्ति सामंत रे
इलाहाबाद
प्रधानमंत्री जनधन योजना के भारत में वित्तीय समावेशन
पर प्रभावों का समालोचनात्मक विश्लेषण
नाइश हसन
लखनऊ
भारत के मुस्लिम समुदाय में मुता विवाह, एक सामाजिक अध्ययन
निर्मल कुमार पांडे
बलिया
हिंदुत्व का राष्ट्रीयकरण बजरिए हिंदी हिंदू हिन्दुस्तान, औपनिवेशिक भारत में
समुदायवादी पुनरुत्थान की राजनीति और भाषाई-धार्मिक-सांस्कृतिक वैचारिकी का सुदृढिकरण



