गुवाहाटी: “झुमोर बिनंदिनी असम का एक शानदार सांस्कृतिक उत्सव है. जिसमें 8,000 कलाकार असम चाय जनजाति और असम के आदिवासी समुदायों का एक लोक नृत्य कहे जाने वाले झुमोर नृत्य में भाग लेते हैं, जो समावेशिता, एकता और सांस्कृतिक गौरव की भावना को दर्शाता है और असम के समन्वित सांस्कृतिक मिश्रण का प्रतीक है. मेगा झुमोर कार्यक्रम चाय उद्योग के 200 वर्षों और असम में औद्योगीकरण के 200 वर्षों का प्रतीक है.” प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी मेगा झुमोर कार्यक्रम ‘झुमोर बिनंदिनी’ में भाग लिया. उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम में ऊर्जा, उत्साह और उमंग से भरा माहौल था. उन्होंने झुमोर के सभी कलाकारों द्वारा की गई शानदार तैयारियों का उल्लेख किया, जिसमें चाय के बागानों की खुशबू और सुंदरता झलक देखने को मिली थी. उन्होंने कहा कि जिस तरह लोगों का झूमर और चाय बागानों की संस्कृति से विशेष जुड़ाव है, उसी तरह उनका भी झुमोर से जुड़ाव है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस तरह के भव्य आयोजन न केवल असम के गौरव का प्रमाण हैं, बल्कि भारत की महान विविधता को भी दर्शाते हैं. उन्होंने कहा कि एक समय था जब असम और पूर्वोत्तर को विकास और संस्कृति के मामले में नजरअंदाज किया जाता था. उन्होंने यह भी कहा कि अब वे खुद पूर्वोत्तर संस्कृति के ब्रांड एंबेसडर बन गए हैं. उन्होंने कहा कि वह असम के काजीरंगा में रहने वाले और दुनिया के सामने इसकी जैव विविधता को बढ़ावा देने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ महीने पहले असमिया भाषा को शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया गया था, जो एक ऐसी पहचान है जिसका असम के लोग दशकों से इंतजार कर रहे थे. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, चराई देउ मोइदम को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है, जो उनकी सरकार के प्रयासों की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.

प्रधानमंत्री मोदी ने असम के गौरव और बहादुर योद्धा लाचित बोरफुकन के बारे में बात की, जिन्होंने मुगलों के खिलाफ असम की संस्कृति और पहचान की रक्षा की. उन्होंने लाचित बोरफुकन की 400वीं जयंती के भव्य समारोह पर प्रकाश डाला और उल्लेख किया कि उनकी झांकी को गणतंत्र दिवस परेड में भी शामिल किया गया था. प्रधानमंत्री ने कहा कि असम में लाचित बोरफुकन की 125 फीट ऊंची कांस्य प्रतिमा स्थापित की गई है. उन्होंने आदिवासी समाज की विरासत का जश्न मनाने के लिए जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि आदिवासी वीरों के योगदान को अमर बनाने के लिए देश भर में आदिवासी संग्रहालय स्थापित किए जा रहे हैं. प्रधानमंत्री ने असम के विकास और ‘चाय जनजाति’ समुदाय की सेवा करने की बात कहते हुए असम चाय निगम के कर्मचारियों की आय बढ़ाने के लिए बोनस की घोषणा के बारे में बताया. उन्होंने चाय बागानों में काम करने वाली लगभग 1.5 लाख महिलाओं को दी जा रही सहायता पर जोर दिया, जिन्हें गर्भावस्था के दौरान वित्तीय चिंताओं को दूर करने के लिए 15,000 रुपये मिलते हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, असम सरकार परिवारों के स्वास्थ्य के लिए चाय बागानों में 350 से अधिक आयुष्मान आरोग्य मंदिर खोल रही है. मोदी ने कहा कि चाय जनजाति के बच्चों के लिए 100 से अधिक आदर्श चाय बागान स्कूल खोले गए हैं और 100 और स्कूल खोलने की योजना है. उन्होंने चाय जनजाति के युवाओं के लिए ओबीसी कोटे में 3% आरक्षण के प्रावधान तथा असम सरकार द्वारा स्वरोजगार के लिए 25,000 रुपये की सहायता का भी उल्लेख किया. प्रधानमंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि चाय उद्योग और इसके श्रमिकों के विकास से असम के समग्र विकास को गति मिलेगी तथा पूर्वोत्तर को नई ऊंचाइयां हासिल होंगी. इस कार्यक्रम में असम के राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, केंद्रीय मंत्री डा एस जयशंकर, सर्बानंद सोनोवाल, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री डा माणिक साहा, केंद्रीय राज्य मंत्री पबित्र मार्गेरिटा सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे.