सैनामलुआंगः थाईलैंड में बौद्धों के लिए पांच सबसे प्रतिष्ठित आयोजनों में से एक, पवित्र माखाबुचा यानी माघ पूजा समारोह का आयोजन थाईलैंड के सम्मानित सोमदत और अन्य वरिष्ठ भिक्षुओं द्वारा भव्यतापूर्वक किया गया. यह समारोह उसी स्थान पर हुआ जहां भारत से लाए गए भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों के पवित्र अवशेष रखे गए हैं. ये अवशेष थाईलैंड और बौद्ध धर्म की जड़ों के बीच गहरे आध्यात्मिक संबंध का प्रतीक हैं. माखाबुचा दिवस यानी ‘माघ पूजा‘ भगवान बुद्ध द्वारा अपने शिष्यों को दी गई शिक्षाओं को चिह्नित करने वाला एक धार्मिक उत्सव है. माखाबुचा पारंपरिक चंद्र कैलेंडर के अनुसार तीसरे चंद्र माह की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. माखाबुचा, बौद्ध कैलेंडर का पहला महत्त्वपूर्ण धार्मिक त्यौहार, थाईलैंड, लाओस और कंबोडिया सहित ऐसे देशों में मनाया जाता है.
याद रहे कि माखा शब्द पाली भाषा में ‘माघ‘ शब्द से आया है और यह तीसरे चंद्र माह को संदर्भित करता है, जबकि बुचा का अनुवाद ‘पूजा करना‘ के रूप में किया जा सकता है, जो दोनों बौद्ध धर्मग्रंथों में प्रयुक्त पाली भाषा से लिए गए हैं. इसलिए, माखाबुचा शब्द तीसरे चंद्र माह पर पूजा करने के दिन को संदर्भित करता है. यह पर्व उन देशों में प्रचलित है, जहां के अधिकांश बौद्ध थेरवाद बौद्ध धर्म का अभ्यास करते हैं, जिसे ‘दक्षिण का बौद्ध धर्म‘ भी कहा जाता है. इस अवसर पर सैनामलुआंग मंडप में डा सुपाचाई वीरफुचोंग द्वारा ‘बुद्ध के बाद से अब तक थाई भारत मित्रता‘ पर एक विशेष वार्ता भी आयोजित की गई. थाईलैंड में 26 दिवसीय प्रदर्शनी के लिए भारत से लाए गए पवित्र अवशेषों के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए बड़ी संख्या में लोग मंडप में आ रहे हैं. बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर की अगुआई में 22 सदस्यीय भारतीय प्रतिनिधिमंडल भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेष को वहां ले गया है.